अगर आप भी तुलसी उगाना चाहते हैं तो इस लेख मेंTulsi ki khetiकैसे उगाएं और इसे कहां बेचें (Basil खेती इन हिंदी) और तुलसी की कीमत की जानकारी दी जा रही है।
Tulsi ki kheti के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु औऱ तापमान (Tulsi Cultivation Suitable soil, Climate and Temperature)
Tulsi ki khetiके लिए बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है, तथा उचित जल निकासी वाली भूमि में भी इसके पौधे आसानी से वृद्धि कर सकते है | इसकी फसल के लिए भूमि का P.H. मान 5.5 से 7 के मध्य होना चाहिये |
तुलसी उष्णकटिबंधीय जलवायु में व्यापक रूप से उगाई जाती है। इसकेपौधे बरसात के मौसम में फलते-फूलते हैं, और सर्दियों में ठंडा मौसम इसकी पैदावार को नुकसान पहुँचाता है। इसकेपौधों को बढ़ने के लिए किसी विशेष तापमान की आवश्यकता नहीं होती है, इसकेपौधे सामान्य तापमान पर विकास करते है
Tulsi ki kheti की उन्नत किस्में (Basil Improved Varieties)
अमृता तुलसी
Tulsi ki khetiकी ये किस्में पूरे भारत में उगाई जाती हैं। इसके पौधों में कई शाखाएँ निकलती हैं और इससे निकलने वाली पत्तियाँ पीले रंग की होती हैं। इस प्रकार की तुलसी का उपयोग मधुमेह, हृदय रोग, अवसाद, कैंसर और गठिया के इलाज के लिए किया जाता है।
बाबई तुलसी
इस प्रकार की तुलसी का उपयोग सब्जियों को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। इसकेपौधेदो फीट लंबा है, और उसकी पत्तियाँ लगभग सही आकार की हैं। भारत में यह बंगाल और बिहार राज्यों में उगाया जाता है।
श्याम या कृष्ण तुलसी
श्याम या कृष्णा तुलसी की इन किस्मों को काली तुलसी के नाम से भी जाना जाता है। इन पौधों की पत्तियाँ जामुनी तथा फूल हल्के बैंगनी रंग के होते हैं। इसका पौधा तीन फुट ऊंचा होता है, इसकी पत्तियों का उपयोग कफ की बीमारी में किया जाता है।
रामा तुलसी
राम तुलसी की ये किस्में उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाने के लिए अनुकूलित हैं। यह भारत के दक्षिणी राज्यों में उगाया जाता है। परिणामी पौधे दो से तीन फीट लम्बे पाए जाते हैं।
इन पौधों की पत्तियां हल्के हरे रंग की होती हैं और फूल पूरी तरह से सफेद होते हैं। इसके पौधे अत्यधिक सुगंधित होते हैं, और मुख्य रूप से औषधीय प्रयोजनों के लिए उपयोग किए जाते हैं।
कर्पूर तुलसी
यह एक अमेरिकी प्रकार की तुलसी है, जो अमेरिका में बनाई जाती है। इसमें उगने वाली पत्तियों का उपयोग चाय को सुगंधित करने के लिए किया जाता है।
इसके पौधों का उपयोग कपूर के रूप में भी किया जाता है। इसके पौधे दो से तीन फुट ऊंचे पाए जाते हैं, निकलने वाली पत्तियां हरे रंग की होती हैं और फूल लाल भूरे रंग के होते हैं।
Tulsi ki kheti की तैयारी औऱ उवर्रक की मात्रा (Basil Field Preparation and Amount of Fertilizer)
एक अच्छी तरह से विकसित तुलसी का पौधा तीन साल तक फल देता है। इसलिए खेत को अच्छे से तैयार करना जरूरी है. सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए.
जुताई के बाद खेत को कुछ समय के लिए ऐसे ही खुला छोड़ दे इसके बाद खेत में गोबर की खाद डालें और रोटावेटर से जुताई करें. इससे गोबर की खाद खेत की मिट्टी में अच्छी तरह मिल जाएगी. इसके बाद सिंचाई करके खेत की जुताई की जाती है.
पलेव के बाद जब खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखाई देने लगे तब रोटावेटर चलाकर खेत की मिट्टी को भुरभुरा बना दे | खेत की मिट्टी के भुरभुरा हो जाने के बाद उसमे पाटा लगाकर खेत को समतल बना दे |
आप गाय के गोबर की जगह कम्पोस्ट खाद का भी उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा यदि आप उर्वरकों का उपयोग करना चाहते हैं तो आपको एन.पी.के. की आवश्यकता होगी।
Amchoor ki kheti
इसके बाद पौधों के अंकुरण के समय 20 KG नाइट्रोजन की मात्रा को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देना होता है |
Tulsi ki kheti के पौधों की रोपाई का सही समय औऱ तरीका (Tulsi Plants Transplanting Right time and Method)
Tulsi ki khetiके पौधों को पौध के रूप में उगाया जाता है। इसके लिए पौधे सरकार द्वारा पंजीकृत नर्सरी से खरीदने चाहिए. नर्सरी से खरीदे गए पौधे बिल्कुल स्वस्थ होने चाहिए।
इसके पौधे समतल एवं मेड़दोनों जगहोंपर उगाए जा सकते हैं। मेड़पर पौध रोपण से पहले खेत में एक फ़ीट की दूरी रखते हुए मेड़तैयार की जाती हैं। इसके बाद इन पौधों को एक मशीन के जरिए 1.25 फीट की दूरी पर लगाया जाता है.
यदि आप समतल भूमि में पौधे उगाना चाहते हैं तो इसलिए आपको खेत में कतार तैयार करनी होगी. इन पंक्तियों को डेढ़ से दो फीट के अंतराल पर तैयार किए जाते हैं और इनमें लगे पौधों के बीच 40 सेमी की दूरी रखनी चाहिए. तुलसी के पौधे लगाने के लिए अप्रैल का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है।
Tulsi ki khetiके पौधों की सिंचाई (Basil Plants Irrigation)
तुलसी के पौधे सूखी मिट्टी में उगाए जाते हैं, इसलिए पहला सिंचाईरोपण के तुरंत बाद दिया जाता है। जलयोजन बनाए रखने के लिए तुलसी के खेत में 4 से 5 दिनों के अंतराल पर पानी की जाती है |
तुलसी के पौधों को साल में 10 से 12 बूंद सिंचाईकी जरूरत होती है। बरसात के मौसम में उनके पौधों को 15 से 20 दिनों तक पानी दिया जाता है.
Tulsi ki khetiके पौधों में खरपतवार नियंत्रण (Basil Plants Weed Control)
Tulsi ki khetiकी खेती औषधीय रूप में की जाती है, इसलिए इसकी फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक विधि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए | निराई-गुड़ाई विधि द्वारा खरपतवार नियंत्रण किया जाता है।
इसके पौधों में पहली खरपतवार रोपण के डेढ़ महीने बाद पैदा होती है। पहली गुड़ाई के एक महीने के अंतराल में पौधों की दूसरी औऱ तीसरी गुड़ाई कर देनी चाहिए |
Tulsi ki khetiके पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम (Basil Plants Diseases and their Prevention)
पत्ती झुलसा
यह रोग आमतौर पर सर्दियों में पौधों की पत्तियों पर पाया जाता है। इस रोग से प्रभावित होने पर पौधों की पत्तियों पर जले हुए धब्बे दिखाई देने लगते हैं. फाइटोसैनिटरी विधि का प्रयोग करके इस रोग की रोकथाम की जा सकती है।
जड़ गलन रोग
यह रोग आमतौर पर केवल उन स्थितियों में देखा जाता है जहां खेतों में पानी भर गया हो। खेत में नमी के कारण पौधों की जड़ें सड़ने लगती हैं, जिससे पौधों की पत्तियाँ सूखकर पीली हो जाती हैं।
इस रोग की रोकथाम के लिए खेतों में जलभराव न होने दे. इसके अलावा इस रोग के लक्षण दिखाई देने पर पौधों की जड़ों पर पर्याप्त मात्रा में बाविस्टिन का छिड़काव किया जाता है.
कीट रोग
यह रोग तुलसी की पत्तियों को काफी नुकसान पहुंचाता है। यह कीट रोग पौधों की पत्तियों पर रस फेंककर उन्हें क्षति पहुँचाता है, जिससे पौधों की पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं तथा पत्तियाँ सूखकर मर जाती हैं। एजाडिरेक्टिन की पर्याप्त मात्रा का छिड़काव करने से इस रोग की रोकथाम की जा सकती है।
Tulsi ki khetiकहां बेचे
अगर आपTulsi ki khetiबेचना चाहते हैं तो आप किसी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से जानकारी लेकर इसे बेच सकते हैं, या फिर आप किसी बड़ी कंपनी से बात कर सकते हैं जो प्रोडक्टका बनाने में प्रयोग में लाती हो, उसे सीधा बेचने का विकल्प होता है|
तुलसी के पौधों की कटाई, पैदावार औऱ लाभ (Basil Plants Harvesting, Yield and Benefits)
तुलसी के पौधे की कटाई पौध रोपाई के तक़रीबन तीन महीने बाद कर ली जाती है | जब इसके पौधों पर पूर्ण रूप से फूल आ जाये औऱ नीचे के पत्ते सूखे दिखाई देने लगे तब इसकी कटाई कर ली जाती है |
इसके पौधों की कलमों से तेल प्राप्त होता है। जब पौधों के वानस्पतिक भागों की कटाई की जाती है, तो उन्हें जमीन से 20 से 25 सेमी की ऊंचाई से काटा जाता है।
Kali Haldi ki kheti
तुलसी के एक हेक्टेयर खेत से 20 से 25 टन उपज प्राप्त होती है। जिससे 80 से 100 किलोग्राम तेल प्राप्त होता है। इसके तेल की बाजार कीमत 450 से 500 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच है. इससे किसान एक फसल से 40 से 50 हजार रुपये तक आसानी से कमा सकते हैं.
Tulsi ki kheti FaQs?
तुलसी की रोपाई कब करते हैं?
जून-जुलाई माह में
तुलसी की नर्सरी कैसे लगाएं?
तुलसी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे ज्यादा उपयुक्त मानी जाती है. इसकी खेती के लिए सबसे पहले जून-जुलाई में बीजों के मााध्यम से नर्सरी तैयार की जाती है. नर्सरी तैयार होने के बाद इसकी रोपाई की जाती है. रोपाई के दौरान लाइन से लाइन की दूरी 60 सेमी.
तुलसी की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?
राम, कृष्ण, वाना और कपूर तुलसी
तुलसी के पौधे की उम्र कितनी होती है?
दो-तीन वर्षों तक
तुलसी को कितनी बार पानी देना चाहिए?
गर्मियों में हर दिन और सर्दियों में हर दूसरे दिन
तुलसी का पेड़ कौन सा लगाना चाहिए?
रामा तुलसी और श्यामा तुलसी
तुलसी लगाने के लिए कितनी दूर है?
24 से 36 इंच की दूरी
Shankhpushpi ki kheti
Tulsi ki kheti| तुलसी की खेती कैसे करें और कहां बेचे | तुलसी का भाव |Basil Farming in Hindi|Tulsi Cultivationकिसान भाइयो अगर आपjagokisan.comद्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट है तो plz like करे और शेयर करे ताकि किसी दूसरे किसान भाई की भी मदद होसके