Kalihari Ki Kheti 2024

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Kalihari Ki Kheti | औषधीय पौधा कलिहारी की वैज्ञानिक खेती कैसे करे|कलिहारी की खेती में काफी मुनाफा है

Kalihari Ki Kheti :- आज के समय में कलिहारी की खेती अच्छा मुनाफा दे सकती है. तो, आज के लेख में हम कलिहारी के बारे में और जानेंगे। कलिहारी की खेती के लिए मिट्टी की उपयुक्तता, तापमान और वातावरण, उन्नत किस्में, कलिहारी को कैसे और कब लगाएं, कलिहारी फसलों के खरपतवार, देखभाल और रोग और कीट, कलिहारी पौधों से उपज दर, जिसके बारे में बात करते हुए, हमें कलिहारी कृषि के बारे में जानकारी मिलेगी।

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यदि आप Kalihari Ki Kheti करना चाहते हैं तो इस जानकारी की सहायता से आप इसे सफलतापूर्वक कर सकते हैं और कुछ ही समय में अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। तो इस आर्टिकल के साथ अंत तक बने रहें, धन्यवाद।

कलिहारी की खेती (Kalihari Ki Kheti) Overview

 

आर्टिकल का नामकलिहारी की खेती (Kalihari Ki Kheti)
इस आर्टिकल का उदेश्यकिशान भाई ओ को कलिहारी की खेती में मदद मिले
प्रसिद्ध वेराइटीग्लोरिओसा सुपर्बा (Gloriosa Superba),ग्लोरिओसा राथ्सचील्डीयना (Gloriosa Rathschildiana)
बुवाई कब और केसे करेजुलाई और अगस्त माह में जड़ो की गांठो द्वारा
पंक्ति से पंक्ति की दुरी60X45 सेंटीमीटर की दुरी
तापमान और वातावरण20℃ से लेकर 35℃
खाद कौन सा डालेवर्मीकम्पोस्ट, सड़ा हुआ गोबर, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश
आने वाले रोग एवं कीटजड़ गलन, पतों पर धब्बे, हरी सुंडी, और रंग बे रंगी सुंडिया
एक हेक्टरमे उपजएक साल में एक हेक्टर मे से बीज 300 से 350 छिलके 180 से 210 किलोग्राम
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तापमान और जलवायु (Kalihari Ki Kheti)

Kalihari Ki Kheti(कलिहारी की खेती) कलिहारी के पौधे 20°C से 35°C या 40°C के तापमान रेंज में अच्छी तरह से विकसित होते हैं। औसत वार्षिक वर्षा 80 सेमी से 160 सेमी थी। तथा भूमि का जल निकास अच्छा होना चाहिए। कलिहारी की खेती में बेहतर जल निकासी के लिए मिट्टी की तैयारी में पत्ता का उपयोग करना चाहिए तथा जिस मिट्टी में जल निकास कम हो उस मिट्टी में कलिहारी की खेती नहीं करनी चाहिए।

Kalihari Ki Kheti के लिए उपयुक्त मिट्टी और तैयारी कैसे करे?

कलिहारी की खेती के लिए आदर्श मिट्टी लाल रंग की दोमट मिट्टी होती है और रेतीली मिट्टी की बात करें तो कलिहारी के पौधे अच्छे से विकसित होते हैं और फूल और फल भी अच्छे से लगते हैं। अच्छी पैदावार के लिए कलिहारी को लाल दोमट या बलुई मिट्टी में ही उगाना चाहिए। लाल मिट्टी और रेतीली मिट्टी में पानी आसानी से निकल जाता है।

अतः ऐसी मिट्टी में पानी अच्छा होता है। और मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए फसलों की सही समय पर सिंचाई करनी होगी और उन्हें कठोर मिट्टी में नहीं लगाना चाहिए। जिस मिट्टी में आप कलिहारी की खेती करना चाहते हैं, उस मिट्टी का पी.एच मान 4.5 से 7 होना चाहिए। कलिहारी की खेती में मिट्टी की तैयारी (कलिहारी की खेती) जुलाई और अगस्त के महीने में आपको ट्रैक्टर की सहायता से जुताई करनी चाहिए।

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तीन गुना गहराई तक. मिट्टी को एकदम भुरभुरा बनाने के लिए आप रोटावेटर की मदद भी ले सकते हैं। आप ज़मीन को समतल करने के लिए एक बेल्ट भी जोड़ सकते हैं। और अंतिम जुताई से पहले प्रति हेक्टेयर 12 से 15 टन वर्मीकम्पोस्ट या अच्छी तरह सड़ी हुई गाय की खाद डालकर मिट्टी में अच्छी तरह मिला देना चाहिए. इस मामले में

 Kalihari Ki Kheti उन्नत किस्में (वेराइटी)

ग्लोरिओसा सुपर्बा (Gloriosa Superba) : इस उन्नत किस्मे की खेती अफ्रीका एवं भारत और विविध देश में सबसे ज्यादा की जाती है। इस के पौधे की ऊंचाई1 से 2 मीटर तक की होती है

इस के पत्तिया अंडा आकर के होते है और इस पतों की लम्बाई 11 से लेकर 13 से.मी. तक की हो शक्ती है। इस किस्मे के फूल बहुत लम्बे और गहरे लाल एवं पीले रंग के होते है।

ग्लोरिओसा राथ्सचील्डीयना (Gloriosa Rathschildiana) : इस प्रसिद्ध किस्मे को अफ्रीका के उष्ण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा किशान बुवाई कर के अच्छी उपज भी प्राप्त करते है।

किस्मे को बेल और लम्बी होती है। इस के पत्तिया लम्बी और लम्बाई 15 से लेकर 19 सै.मी. की होती है। इस किस्मे के फूल लम्बे और सफ़ेद एवं पीले रंग के होते है

बुवाई कैसे करे? बीज या गांठो की मात्रा (Kalihari Ki Kheti)

कलिहारी की खेती (कलिहारी की खेती) में कलिहारी की बुआई जुलाई और अगस्त के महीने में सबसे अच्छी मानी जाती है। ये पौधे सीताफल के पौधे हैं इसलिए इनका आकार 45X60 सेमी. दूरी बनाये रखनी होगी. इस अवधारणा का उपयोग करके, प्रति हेक्टेयर 37050 पंक्तियाँ लगाई जा सकती हैं। कलिहारी के पौधों की मिट्टी में गहराई 6.5 से 8.5 सेमी होनी चाहिए.

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Kalihari Ki Kheti के लिए आप बीज बो सकते हैं (रोपण कर सकते हैं)। बीज तैयार कर बोए जा सकते हैं। अगर आप कलिहारी को एक हेक्टेयर में उगाना चाहते हैं तो कम से कम 25 से 30 क्विंटल गांठें प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है.

कलिहारी की बुआई से पहले इन जड़ों को उचित रसायनों से अच्छी तरह उपचारित कर लेना चाहिए। बाद में कलिहारी को मुख्य खेत में लगाना चाहिए.

सिंचाई कब करनी चाहिए? (Kalihari Ki Kheti Me)

 

कलिहारी की खेती रेतीली मिट्टी पर की जाती है और कनिहारी की खेती में सिंचाई की बहुत कम आवश्यकता होती है। कलिहारी के पौधों में फूल और फल आने पर सिंचाई की आवश्यकता होती है। वही फूल और फल बड़े होने चाहिए और पकने पर पानी नहीं देना चाहिए। अधिक सिंचाई करने से कलिहारी के फूल और फल जमीन पर गिर जाते हैं। और जब कटाई हो तो कटाई से पहले सिंचाई बंद कर देनी चाहिए।

खाद कोन सा और कब देना चाहिए?

  • वर्मीकम्पोस्ट और गोबर : एक हेक्टर के हिसाब से आप 12 से 15 टन दे शकते है। जब जमीन की तैयारी करे है तब भी दाल के आखरी जुदाई कर शकते है।
  • नाइट्रोजन : नाइट्रोजन पौधे को वातावरण में से 80% किलता है और 4% पानी के माध्यम से मिलता है। इस के आलावा एक हेक्टर में हम 80 से 100 किलो नाइट्रोजन डाल शकते है। नाइट्रोजन का मुख्य कार्य है पौधे का अच्छे से विकास करना।
  • फास्फोरस : हम एक हेक्टर में फास्फोरस 35 से 40 किलो डाल शकते है। इस का माप जमीन की H.P मान के डालना चाहिए। इस तत्व का मुख्य कार्य है पौधे पर फूल का विकास, फल का विकास और पौधे में रोग प्रति कारक शक्ती की बड़ोतरी करना। इस के आलावा भी ए तत्व कार्य करते है फल के आकर को बढ़ाता है।
  • पोटाश : हम एक हेक्टर में पोटाश 40 से 45 किलो डाल शकते है। इस तत्व का मुख्य कार्य है पौधे के जड़ो का विकास करना और कई रोग एवं कीट से पौधे को बचता है। जब किसी भी पौधे की जड़ मजबूती से जमीन के साथ जुड़ जाती है। पोटाश देने से पौधे की कोशिका की दीवारे मजबूत होती है और लता तेजीसे लम्बी होती है।

उपज एवं कटाई कब करे?(Kalihari Ki Kheti)

 

कलिहारी की खेती (Kalihari Ki Kheti) 180 से 190 दिन की होती है। कनिहारी के फूल फल एवं गांठो औषोधिक दवाई बना ने के काम आते है। फल के बीज एवं फल के ऊपरी छिल्के दोनों दवाई में काम आते है। इस के अलावा कटाई के बाद जमीन में से गांठो को निकाल लिए जाता है इन गांठो को अच्छे से पानी से फास करते है।

इस के बाद गांठो, फूल, फल के बीज कुछ दिनों तक छाव में सुखाया जाता है। इस गांठो को और फल के बीजो को लम्बे समय तक अच्छे से रखने के लिए हवा रहित पेकिंग में पैक करते है। इस गांठो और फल फूल बीज से कई टॉनिक और दवाई बना के मानव शरीर के लिए उपयोग में लेते है।

कलिहारी की खेती (Kalihari Ki Kheti) में उपज की बात करे तो कलिहारी की खेती एक हेक्टर के हिसाब से की है। कलिहारी के बीज की मात्रा आपको 300 से लेकर 350 किलोग्राम बीज प्राप्त होगा। और फल के ऊपरी छिलके की बात करे तो 180 से लेकर 210 किलोग्राम छिलके प्राप्त होते है।

कलिहारी के गांठो की बात करे तो अगर हम 4 से 5 साल कलिहारी की खेती कर के गांठो का हिसाब करे तो 2 से 3 टन सूखे गांठो मिलेगी। इस कलिहारी के फल के छिलके का बाजार भाव एक किलोग्राम के 1050 से 1250 रूपए त

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Q.कलिहारी के खेती कब की जाती है ?

Ans.जुलाई और अगस्त माह में 

Q.कलिहारी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी (मिट्टी की पसंदगी) कैसी होनी चाहिए ?

Ans.कलिहारी की खेती के लिए उपयुक्त या मीट्टी की पसंदगी लाल दोमट या तो रेतीली मिट्टी में सब से अच्छे से कलिहारी के पौधे विकास करते है और उपज भी अच्छी प्राप्त होते है

Q.कलिहारी के पौधे कितने दिन में पक के तैयार हो जाते है ?

Ans.180 से 190 दिन में

Kalihari Ki Kheti | औषधीय पौधा कलिहारी की वैज्ञानिक खेती कैसे करे|कलिहारी की खेती में काफी मुनाफा है
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