रोटी पर लगा भारी-भरकम टैक्‍स

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रोटी पर लगा भारी-भरकम टैक्‍स, निवाला छिनने के डर से सड़कों पर उतरी जनता, और फिर...

नई दिल्‍ली. केन्‍या में भारी जन विरोध को देखते हुए सरकार को मजबूरन कुछ विवादित करों को वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी है. साल 2022 में राष्‍ट्रपति बनने के बाद विलियम रूटो ने देश की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कुछ अहम कर सुधार किए थे. इसके लिए कर अधिनियम 2023 पारित किया था.

इस अधिनियम में ब्रेड पर भी 16 फीसदी कर लगाने का प्रावधान किया गया था. इसके खाद्य तेलों, मोबाइल मनी सविर्स और गाड़ियों पर भी भारी-भरकम कर लगाने की बात कही गई थी. लेकिन, केन्‍या के लोगों को सरकार के ये कर सुधार बिल्‍कुल पसंद नहीं आए. सरकार के इन कदमों के खिलाफ लंबे समय से केन्‍या में हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे थे. इसी को देखते हुए सरकार ने अब प्रस्‍तावित कुछ करों को वापस लेने का ऐलान किया है.

गौरतलब है कि केन्‍या पर भारी-भरकम कर्ज है. इस समय उस पर 80 बिलियन डॉलर का ऋण है. देश की अर्थव्‍यवस्‍था काफी खराब है. महंगाई बढ़ने से लोगों के लिए जीवन-यापन करना बहुत मुश्किल हो रहा है.

देश की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए राष्‍ट्रपति विलियम रूटो की सरकार पर भारी दबाव है. अपनी आमदनी बढ़ाने को सरकार ने नये टैक्‍स लगाए. ये जनता को बिल्‍कुल पसंद नहीं और पिछले करीब एक साल से केन्‍या में सड़कों पर हर रोज पुलिस और लोगों के बीच झड़प हो रही थी.

विवादित कर अधिनियम 2023 के जिस प्रावधान पर सबसे ज्‍यादा हंगामा मचा है, वो है ब्रेड पर 16 फीसदी टैक्‍स लगाने का प्रस्‍ताव. लोगों का कहना है यह भारी-भरकम टैक्‍स लागू होते ही लोगों के भूखे मरने की नौबत आ जाएगी. केन्‍या में कॉस्‍ट ऑफ लिविंग पहले ही बहुत ज्‍यादा है. ऐसे में ब्रेड पर 16 फीसदी टैक्‍स लगाना सही नहीं है. इसके अलावा पेट्रोलियम पदार्थों पर भी टैक्‍स की दर को भी दोगुना करके 16 फीसदी कर दिया गया. खाद्य तेलों पर भी टैक्‍स में भारी इजाफा किया गया.

ईको टैक्‍स के नाम पर प्‍लास्टिक पैकिंग मैटेरियल, प्‍लास्टिक और टायर पर भी टैक्‍स बढा दिया गया. इसके अलावा नैपकिन, सैनेटरी टॉवल और कंप्‍यूर और मोबाइल पर टैक्‍स दरों में बेतहाशा वृद्धि से जनता का गुस्‍सा फूट पड़ा. आम लोगों के साथ ही केन्‍या की विपक्षी पार्टियां भी सरकार के कर अधिनियम 2023 का विरोध कर रही हैं.

 
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