Madhumakhi palan kaise kare

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Madhumakhi palan kaise kare | Apiculture: Importance, Advantages and Disadvantages मधुमक्खी पालन क्या है | मधुमक्खी पालन | Honey Bees |

मधुमक्खी को पालने (Madhumakhi palan) के विज्ञान को मधुमक्खी पालन कहते हैं । कृषि आधारित उद्यम आरम्भ करने के लिए मधुमक्खी पालन (Madhumakhi palan)अति उपयुक्त है।

मधुमक्खी पालन को एक दिलचस्प रुचि, अतिरिक्त व्यवसाय मौन उत्पादों तथा परागण प्रबंधन से जोड़कर व्यावसायिक उद्यम के रूप में अपनाया जा सकता है |

मधुमक्खीयों द्वारा उत्पन्न किया जाने वाला शहद एक महत्त्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है जिसे औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है | शहद के अतिरिक्त मौनवंशों से हमें मोम, पराग, प्रोपोलिस, रॉयल जेली तथा मौनविष प्राप्त होते हैं । इस के अतिरिक्त मधुमक्खियां मकरंद और पराग एकत्रित करते समय पौधें के परागण में सहयोग करती हैं जिससे उत्पादन कई गुना बढ़ जाता है।

ऐसी फसलें जिनमें पर परागण द्वारा निषेचन होता है, उन फसलों में परागण क्रिया मधुमक्खी द्वारा करने से ओसतन 15 से 30 प्रतिशत उत्पादन में मुनाफा होता है। इस मुनाफा में कृषक को अपने पास से किसी भी प्रकार का निवेश नहीं करना पड़ता तथा Madhumakhi palan से शहद एवं मोम उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है।

सरसों में औसतन उपज 880 किलो ,/ हैक्टेयर है जो मधुमक्खी पालन (Madhumakhi palan) करने पर 056 किलो हैक्टेयर तक बढ जाती है | और बीजीय मसालों वाली फसलों में मधुमक्खी द्वारा परागण क्रिया से ओसतन उपज में भी बढोतरी पायी गयी है।

मधुमक्खी पालन व्यवसाय कैसे शुरू करें | How to start beekeeping business

मधुमक्खी पालन (Madhumakhi palan) व्यवसाय एक लाभकारी और प्राकृतिक व्यवसाय हो सकता है, लेकिन इसे संचालने से पहले आपको समझने की आवश्यकता है कि यह कैसे काम करता है और कैसे इसे सफलता पूर्वक संचालित किया जा सकता है। निम्नलिखित चरणों का पालन करके आप मधुमक्खी पालन (Madhumakhi palan) व्यवसाय शुरू कर सकते हैं:

    1. शिक्षा और तय समझ: पहले तो आपको मधुमक्खी पालन (Madhumakhi palan) के बारे में अच्छी तरह से जानकारी हासिल करनी चाहिए। इसके लिए आप उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं, जैसे कि किताबें, ऑनलाइन स्रोत, या स्थानीय मधुमक्खी खेतों के मालिकों से सलाह।
    2. मधुमक्खी किस्म का चयन: आपको मधुमक्खी किस्म का चयन करना होगा, जैसे कि इटैलियन मधुमक्खी, कार्निकोलन, बक्सी, आदि। आपकी स्थानीय मौसम और माटी के अनुसार किस्म का चयन करें।
    3. मधुमक्खी की स्थिति का चयन: आपको यह तय करना होगा कि आप मधुमक्खी को कैसे रखेंगे, क्या आप उन्हें छत पर या अंदर पालेंगे।
    4. आवश्यक सामग्री की जाँच: मधुमक्खी पालन (Madhumakhi palan) के लिए आवश्यक सामग्री की जाँच करें, जैसे कि मधुमक्खी बोक्स, मधुमक्खी, पोलिनेशन किट्स, और अन्य आवश्यक उपकरण।
    5. मधुमक्खी खेत का निर्माण: मधुमक्खी खेत की योजना बनाएं और इसे तैयार करें, ताकि मधुमक्खी सुरक्षित रूप से रह सकें।
    6. मधुमक्खी की देखभाल: मधुमक्खी (Madhumakhi palan) की देखभाल के लिए एक नियमित दिनचर्या बनाएं, जिसमें उनके लिए खाद्य, पानी, और सामग्री की जाँच शामिल हो।
    7. पैंडिंग और मधुमक्खी का संचालन: मधुमक्खी की देखभाल के साथ-साथ, आपको पैंडिंग का संचालन करना होगा, जिससे आप मधुमक्खी से मधु प्राप्त कर सकते हैं।
    8. बाजार में मधु बेचना: जब आपके पास पर्याप्त मात्रा में मधु हो, तो आप इसे बाजार में बेच सकते हैं। आप अपने स्थानीय बाजार में बेचने के लिए व्यापारिक संबंध बना सकते हैं या ऑनलाइन माध्यम का भी प्रयोग कर सकते हैं।
    9. कानूनी फॉर्मेलिटी: आपको अपने क्षेत्र के विशेष कानूनों और विनियमों का पालन करना होगा, जैसे कि व्यापार लाइसेंस और करों के लिए पंजीकरण।


मधुमक्खीयों की प्रजातियाँ (Apiculture species)

।. छोटी मधुमक्खी , एपिस फलोरिया

Madhumakhi palan kaise kare एपिस फलोरिया

2. जंगली मधुमक्खी , एपिस डॉरसेटा

एपिस डॉरसेटा

3. भारतीय मधुमक्खी , एपिस सिराना

एपिस सिराना

4. इटालियन मधुमक्खी , एपिस मेलिफेरा

एपिस मेलिफेरा

इनमें से पहली दो मधुमक्खियां जंगली हैं जिन्हें आधुनिक मौनगूृहों में नहीं पाला जा सकता, जबकि देसी मधुमक्खी एपिस सिराना व विदेशी मधुमक्खी एपिस मेलिफेरा को आधुनिक मौनगृहों में पाला जा सकता है। उपरोक्त मधुमक्खीयों की किसमें विभिन्‍न प्रकार के छत्ते बना कर रहती हैं तथा इनकी शहद पैदा करने की क्षमता भी भिन्‍न है।


Madhumakhi palan की मुख्य प्रजाति (Main species of bees)

एपिस मैलीफेरा : इस मधघुमक्खी को इटेलियन मधुमक्खी भी कहते हैं | यह आकार व स्वभाव में एपिस इंडिका की तरह होती है लेकिन इस प्रजाति की रानी मधुमक्खीयों के अण्डे देने की क्षमता बहुत अधिक होती है। एक मौनवंश में 60,000-70,000 तक कमेरी मुट्रमक्खियां हो सकती हैं |

नर, रानी व कमेरी मधुमक्खियां अलग-अलग कोष्ठों में रहती हैं । सन्‌ 1962 में यह मघुमक्खी सबसे पहले नगरोटा मौन पालन केन्द्र उस समय पंजाब में, अब हिमाचल प्रदेश में स्थापित की गई | तत्पश्चात्‌ इसे पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, उड़ीसा, जम्मू कश्मीर, मध्य प्रदेश इत्यादि में सफलतापूर्वक पाला जा रहा है |

यह मधुमक्खी मैदानी क्षेत्रों के लिए काफी उपयुक्त है | यह मधुमक्खी भी देसी मधुमक्खी की भांति अंधेरे स्थानों में कई समानान्तर छत्ते बनाती है | एक मौनवंश से एक साल में औसतन 40-60 किलोग्राम शहद लिया जा सकता है। वैसे मधुमक्खी की 400 किलोग्राम तक शहद उत्पादन क्षमता होती है |

मधुमक्खी पालन (Madhumakhi Palan) के लिये स्थान निर्धारण एवं प्रबंधन

    • मधुमक्खी पालन (Madhumakhi palan) के लिये उन स्थानों का चुनाव करे जहा पर 2- 3 कि. मी. के क्षेत्र में पेड-पौधे बहुतायत में हों, जिनमें पराग व मकरन्द वर्ष भर मिल सकें |
    • तेज हवाओं का मधुमक्खी पालन (Madhumakhi palan) के स्थान पर सीधा प्रभाव नहीं होना चाहिये । यदि स्थान पर छायादार पेड नही है तो वहां अप्राकृतिक रूप से छायादार स्थान बनाना चाहिये |
    • मघुमक्खी पालन का स्थान मुख्य सडक से थोड़ा दूर होना चाहिये भूमि समतल व पानी का निकास उचित होना चाहिये और पास में साफ एवं बहता हुआ पानी मधुमक्खी पालन के लिये अति आवश्यक है |
    • नया लगाया हुआ बगीचा Madhumakhi palan के लिय उचित है, ज्यादा घना बगीचा भी गर्मी के मौसम में हवा को आने जाने से रोकता है |
    • मधुमक्खी पालन (Madhumakhi palan) के स्थान के चारों तरफ तारबंदी या हेज लगाकर अवांछनीय आने वालों को रोका जाना चाहिये |
    • एपायरी में पंक्ति से पंक्ति की दूरी 40 फुट व बक्से से बक्से की दूरी 3 फुट रखें | बक्‍सों को पंक्ति में बिखरे रूप में रखना चाहिये | एक स्थान पर 50 से 400 बक्से तक रखे जा सकते हैं |

मधुमक्खी पालन (Madhumakhi Palan) की शुरूआत कैसे करें

    • संम्बन्धित कृषि साहित्य पढ़ कर
    • मान्यता प्राप्त संस्था से प्रशिक्षण लेकर
    • मौनपालक के साथ रहकर सम्पूर्ण प्रायोगिक जानकारी लेकर
    • लगभग 10-15 कॉलोनी से शुरूआत करें

Madhumakhi Palan कब करें

    • मधुमक्खी पालन की शुरूआत 15 अक्टूबर से नवंबर में होनी चाहिए |
    • उपयुक्त फूलों की लगातार उपलब्धि होने पर
    • प्रचुर मात्रा में मकरंद एवं पराग की आवक पराग एवं मकरकंद के प्रमुर्र स्त्रोत

फूल खिलने का समय फसल एवं फल वृक्ष

जनवरी-फरवरी सरसों, धनियां, सौफ, बरसीम

मार्च-अप्रेल आंवला अमरूद, गाजर, सफेदा, कद्‌दूवर्गीय सब्जियां

मई-जून मक्का कद्‌दू वर्गीय सब्जियां, अमरूद, तरबूज, गाजर घांस

जुलाई-अगस्त मेंहदी बाजरा, मक्का तिल, गाजर घांस

सितम्बर-अक्टूबर बाजरा मेंहदी, तिल, ढ़ेचा, अमरूद, भैर, बबूल, गाजर घांस

नवम्बर-दिसम्बर सरसों अजवाईन, गाजर घांस

मधुमक्खी कॉलोनी (Bee Colonies) का निरीक्षण

मधुमक्खी कॉलोनी का मौनालय (एपायरी) में स्थापित करने से पहले देख लेना चाहिए कि लकड़ी से बने बॉक्स, चौखट, सुपर के माप व आकार सही है | किसी प्रकार के छिद्र एवं दरारे नहीं होनी चाहिए । ऐसा करने से शिशु कक्ष तथा मधु कक्ष में आदान-प्रदान करने में परेशानी नहीं आती है तथा विपरीत मौसम में मधुमक्खी के कार्य में आसानी होती है |
एपायरी में कॉलोनियों के निरिक्षण के दौरान निम्न उपकरणकी जरूरत पड़ती है:

    • स्मोकर
    • बी वेल हाथ के दस्ताने
    • हाइव टूल
    • ब्रश

हर कॉलोनी को अलग-अलग नम्बर देना चाहिए | रानी मधुमक्खी के गर्भाधान की तिथि को भी दर्ज करना चाहिए ताकि प्रबन्धन की वास्तविक रूप-रेखा बनाई जा सके | निरिक्षण के पहले नीचे दी गयी सामान्य सावधानियों को ध्यान में रखना चाहिए |

    • कॉलोनी खोलने से पहले चेहरे पर बी-वेल लगा लें ।
    • काले अथवा गहरे रंग के कपड़ों को नहीं पहने |
    • सुगन्धित तेल या अन्य रसायनों का उपयोग न करें |
    • कॉलोनी को बहुत तेजी या झटको से निरिक्षण नहीं करें |
    • मधुमक्खी के डंक मारने के पश्चात्‌ हाइव टूल की सहायता से डंक निकाल दें
    • रानी वाली फ़म का ध्यान से निरिक्षण करें |
    • खराब मौसम जैसे हवा, अधिक सर्दी, बादल आने पर कॉलोनी को न खोलें |

मधुमक्खी (Beekeeping) के लिए चीनी का घोल कब देना चाहिए

    • कॉलोनी में मकरंद का पर्याप्त भण्डार न हो ।
    • कॉलोनी के विभाजन के समय, स्थानान्तरण (माईग्रेशन) के बाद तथा नये छत्त्ते के निर्माण के समय |
    • जिन फसलों में मकरंद की आवक अधिक रहती है ऐसी फसलों के फूल शुरू होने के क-2 सप्ताह पहले देना चाहिए ताकि श्रमिक कियाशील होकर कार्य करें |
    • जब कॉलोनी में कोई रोग लगा हो, ऐसे में घोल के साथ औषधि मिलाकर दें |

चीनी पानी की मात्रा

    • साधारण चीनी (। कि.ग्रा.) एवं पानी (। ली.) को बराबर मात्रा में मिलाकर घोल बनावें । यह घोल 50 प्रतिशत कहलाता है |
    • मक्खियों को प्रोत्साहन एवं कियाशील बनाने के लिए दर चीनी (। कि.ग्रा. एवं पानी (3 ली.) में मिलाकर घोल बनावें। यह घोल 25 प्रतिशत कहलाता है।
    • वर्षा ऋतु एवं खराब मौसम में चीनी (2 कि.ग्रा.) एवं पानी (।ली.) का घोल बनावें । यह घोल 66.6 प्रतिशत कहलाता है।


घोल बनाने का तरीका

    • साफ बर्तन में पानी उबालें |
    • उबलते पानी में धीरे-धीरे चीनी मिलाकर हिलावें एवं थोड़ी देर तक उबालें |
    • घोल को ठंडा होने पर कॉलोनी को दें |

चीनी-घोल देने के तरीके

    • घोल को खाली फेम में शाम के समय कॉलोनी को दिया जाता है। यदि कॉलोनी में अतिरिक्त खाली फेम है तो उनको बाहर कर देना चाहिए |
    • एक खाली डिब्बा अथवा चौड़ी बोतल में घोल को डाल दे | इसके ढ़क्कन पर 4 से 5 छोटे छिद्र कर दे तथा इस ढ़क्कन को मजबूती से बंद करके इसको शिशु कक्ष के साइड में उल्टा रख दें | साथ में 2-3 छोटे पत्थर के टुकड़े ढ़क्कन के नीचे रख दें | यदि साइड में जगह की कमी है तो टाप बार पर उल्टा रख सकते है|
    • प्लास्टिक की थैली में आधे से एक लीटर घोल भर देते है | थैली को धागे से बाधकर टॉप बार पर रख देते है | यह मधुमक्खी पालकों में प्रचलित तरीका है|


मधुमक्खियों का स्थानान्तरण (माइग्रेशन)

जरूरत के अनुसार मधुमक्खियों की कॉलोनी को स्थानान्तरण निम्न प्रकार किया जा सकता है:

स्थानीय या कम दूरी का माइग्रेशन :– यदि कॉलोनी को अपीयरी के बाहर कम दूरी (आधे से कम कि.मी.) के लिए शिफ्ट करना है तो ऐसी कॉलोनियों को पहले 3 से 5 कि.मी. की दूरी पर ले जाते है ताकि उनकी उडान का रास्ता बदल जाऐ | इस नये स्थान पर 2-3 दिन रखने के पश्चात्‌ इनको उस स्थान पर ले जाया जाता है जहाँ हमें शिफ्ट करना चाहते है | शिफ्टिंग शाम के समय ही करनी चाहिए |


अधिक दूरी का माइग्रेशन :- रतलाम संभाग के अधिकांश मधुमक्खी पालक मसालें वाली फसले काटने के पश्चात्‌
फरवरी-गमार्च में कॉलोनियों का अन्यत्र स्थान पर ले जाते है। ऐसा करने से मधुमक्खीयों को चीनी का घोल कम मात्रा में जरूरत पड़ने पर दिया जाता है क्योकि नये स्थान पर मधुमक्खी सौंफ, बरसीम, सूरजमुखी, जामुन, खैर आदि से स्वयं का भोजन इकट्ठा कर लेती है | मधुमक्खी पालक को अधिक दूरी के स्थानान्तरण में नीचे दी गयी सावधानियाँ का
अनुसरण करना चाहिए।

    1. कॉलोनियों को बन्द करने से पहले उसमे एकत्रित शहद (आधे फेम से अधिक) को बाहर निकाल लेना चाहिए अन्यथा भारी वजन के कारण छत्ते टूट सकते हैं |
    2. स्थानान्तरण के दौरान पर्याप्त मात्रा में भोजन होना चाहिए |
    3. कॉलोनी में दरारों एवं छिद्रों को भली भाँति बन्द कर दें |
    4. कालोनियों को अन्दर तथा बाहर की तरफ से पैक करना आवश्यक है | कॉलोनियों में रिक्त स्थान को खाली लकड़ी के फेम से भर कर इस तरह व्यवस्था कर दे कि कोई भी
    5. फेम हिलने न पाये | यदि कोई कॉलोनी स्ट्रांग है तो उस पर सुपर भी लगाया जा सकता है ताकि अतिरिक्त जगह एवं हवा की पूर्ति हो सकें ।
    6. टाप बार के ऊपर इनर को लगाकर उसको चारों तरफ कीलों से बन्द कर दें | शाम के समय कॉलोनी के मुख्य द्वार को बन्द कर दें ताकि रात के समय माइग्रेशन किया जा सकें |
    7. ट्रक से अथवा बहुत अधिक दूरी होने पर यदि किसी कारण अगले दिन सुबह गन्तव्य स्थान पर नहीं पहुच पाते हैं तो किसी छायादार जगह पर सभी कॉलोनीयों के मुख्य द्वार खोल देने चाहिए एवं रात में वापिस द्वार बन्द करके आगे जाना चाहिए ।
    8. निश्चित जगह पर पहुंचने के पश्चात्‌ 1 से 2 दिन बाद कॉलोनी का निरिक्षण करना चाहिए |

शहद निकालना (निष्कासन)

    • मोम द्वारा सील किये गये शहद के फेमों को एपायरी में अगले स्थान (निट हाउस) पर एकत्रित करते हैं |
    • चाकू की सहायता से मोम की परत को हटा दिया जाता है |
    • इन फेमों को हाथ से चलाने वाली मशीन में रखकर हैंडिल को घुमाने से फमों में जमा गाढ़ा शहद मशीन के ड्रम में एकत्रित होता रहता है।
    • शहद को छानकर प्लास्टिक के ड्रम अथवा बाल्‍्टी में भण्डारण किया जा सकता है ।
    • उपयोग में लाने से पूर्व शहद को पानी के उपर गरम करके उपरी सतह पर मोम को अलग कर दिया जाता है | शहद को साफ कांच की बोतलों में भर लेना चाहिए |

पराग एकत्रित करना

    • प्रचुर मात्रा में पराग उपलब्ध होने पर इसका संचय कॉलोनी के बाहर ही किया जाता है। कॉलोनी के मुख्य द्वार पर लकड़ी से बना “पोलन ट्रेप” जिसमें 5.0 मि.मी. छिद्र की पट्टी (स्किन) को लगा देते है |
    • कॉलोनी में प्रवेश के दौरान मघुमक्खी की टांगों में जमा पोलन इसी ट्रेप की ट्रे में एकत्रित होता रहता है |
    • प्रतिदिन इस पोलन को निकालकर छलनी आदि की सहायता से साफ करके भण्डारण करना चाहिए |
    • पराग का भण्डारण इसको सुखाकर रेफ़ीजिरेटर में रख कर किया जा सकता है|
    • पराग का संग्रहण तब करें जब कॉलोनी में पर्याप्त मात्रा में भोजन हो और सप्ताह में दो दिन ही पराग का संग्रहण करें |

मधुमक्खी के शत्रु एवं रोकथाम

  1. मोमी कीट:
    • वर्षा ऋतु में इस कीट द्वारा अधिक प्रकोप देखा गया है।
    • इस कीट की लट छत्ते के अन्दर सुरंग बनाकर एकत्रित । पराग और मकरन्द को खाकर छत्ते को नष्ट कर देती है |
    • अधिक प्रकोप होने पर रानी अंडे देना बन्द कर देती है, मक्खियाँ सुचारू रूप से कार्य नहीं

करती तथा विशेष परिस्थितियों में मक्खियाँ कॉलोनी भी छोड़ सकती है |

सावधानी एवं रोकथाम

    • लकड़ी के बॉक्स में छिद्र एवं दरारों को बन्द करके मुख्य द्वार को कम करना चाहिए
    • ऐसे छत्ते जिनमें मक्खियाँ न हो अलग कर देना चाहिए।
    • कॉलोनी के टॉप बार पर गंधक पाउडर का भुरकाव समय-समय पर करें |
    • तलपट को हमेशा साफ रखें |

Madhumakhi palan भण्डारण में रोकथाम

    • छत्तों को बहुमंजिला बॉक्स, सुपर में रखकर इनको सल्फर पाउडर 80 ग्राम प्रति क्यूबिक मीटर की दर से घरुमीकरण किया जाता है | इस दौरान फेमों को प्लास्टिक की बड़ी थैली से बन्द कर दिया जाता है।
    • घ्रुमीकरण को 3 से 4 सप्ताह में दोहराना चाहिए |
  1. चिचडी (माइट्स)
    ट्रोपिली लेप्स:
    • यह माइट्स ब्रूड को नुकसान पहुँचाता है
    • अधिक प्रकोप की स्थिति में मृत ब्रुड़ को कॉलोनी के बाहर भी देखा जाता है |
    • यह भूरे रंग के माइट्स होते है जो कि तेज गति से फ़ेमों में पलते हुए दिखायी देते हैं |
    • रोकथाम के लिए सल्फर पाउडर का टॉप बार पर 200 मि.ग्रा. ८ फेम प्रभावी पाया गया है |

वरोआ

    • इस माइट्स से अधिक नुकसान होता है | नर एवं श्रमिक दोनों के ब्रुड इससे प्रभावित होतेहैं | वयस्क मधुमक्खी पर भी इसको देखा जा सकता है |
    • मधुमक्खी की इल्‍्ली अवस्था में काला धब्बा दिखायी देना इसकी उपस्थिति बताती है |
    • यह माइट्स प्यूपा अवस्था में भी इससे चिपका रहता है |
    • रोकथाम के लिए फॉर्मिक अम्ल 50 मि.ली. / कॉलोनी दर से शाम को रूई में भिगोकर प्रवेश द्वार पर रखना चाहिए।
    1. मिरियोप्स ओरेन्टेलिस
      यह पक्षी जंगली क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन (Madhumakhi palan) करने वालों को नुकसान पहुंचाती है | ये मधुमक्खी को तब पकडकर खाती है जब वो पराग व फूलों का रस तथा पानी पीने के लिये कॉलोनी से बाहर निकलती है |

काली चिटियों का पबंधन

    • एपायरी के आसपास चीटियों के छत्तों को नष्ट कर दें तथा चारों ओर सफाई का पूर्ण ध्यान रखें
    • कॉलोनी के स्टैण्ड के चारों पायों के नीचे पानी से भरी कटोरी रखें |
    • इंजिन ऑयल को स्टैण्ड के पायों पर लेप करें ताकि चीटियाँ प्रवेश द्वार तक नहीं जा सकें |

मधुमक्खियों का कीटनाशक रसायनों से बचाव

    • कॉलोनी के सामने एवं प्रवेश द्वार पर काफी संख्या में मरी हुयी मक्खियाँ मिलती है |
    • प्रभावित मक्यियों में दिशा ज्ञान एवं संकेत पहचानने की क्षमता समाप्त हो जाती है |
    • रानी का असमान्य रूप से अंडे देना अथवा अंडों का देना बन्द कर देना ।
    • अधिक नुकसान की स्थिति में कॉलोनी का रानी रहित होना |

रोकथाम के उपाय

    • फसलों की फूल अवस्था में कीटनाशी न डालें । यदि आवश्यक है तो सुरक्षित कीटनाशी का उपयोग सांयकाल में ही करें |
    • प्रभावित मधुमक्खियों के बकसों का स्थान न बदल दें |
      खाली फ़्म को निकाल कर पानी से साफ करें |
    • मक्खियों की आबादी कम होने पर भोजन की कमी हो जाती है अतः कृत्रिम भोजन, चीनी का घोल दें |

मधुमक्खियों कॉलोनी की अनुमानित लागत – आय गणना

 दर प्रति इकाई (रू.)संख्याकुल कीमत (रू.)
(अ) स्थाई खर्चा :
1. मधुमक्खी पेटिका (बी हाइव)
2. मधुमक्खी कॉलोनी (40 फेम)
3. उपकरण एवं अन्य संबंधित सामान
योग

(ब) आवर्ती खर्चा :
1. मोमी आधार शीट, स्टेंड चीनी,
मधुमक्खी पेटिका, दवाईयां आदि.


2. माइग्रेशन

3. मधुमक्खी कॉलोनी की देखभाल हेतु
श्रमिक
4. फुटकर खर्च
योग
(स) अन्य
स्थाई खर्च पर ब्याज
आवर्ती खर्च पर ब्याज
योग
कुल योग (अन+ब+स)
1000
300 प्रति फेम








6000 प्रति माइग्रेशन


.4000 प्रति माह
500 प्रति माह

44: : (410000)
44: : (410000)
100
300


3




12 माह

42 माह



12 माह
6 माह
100000
300000
10000
4100000

40000
18000

48000
6000
112000







57400
7840
65240
रू. 587240

Madhumakhi palan kaise kare FaQ

Q. मधुमक्खी पालन में कितना खर्च आता है?

Ans. मधुमक्खी कॉलोनी (40 फेम) रू. 587240/-

Q. मधुमक्खी का शहद कितने दिन में तैयार हो जाता है?


Ans. सामान्य रूप से, मधुमक्खी का शहद तैयारी का प्रक्रिया कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों का समय ले सकता है। मधुमक्खी फूलों से नेक्टर को इकट्ठा करती है और इसे अपने आवास में रखकर विशेष प्रक्रियाओं के माध्यम से शहद तैयार करती है। इसके बाद, शहद को तरलीकरण, स्ट्रेनिंग, और अन्य प्रक्रियाओं के माध्यम से साफ किया जाता है। यह प्रक्रिया विभिन्न स्थानों और मधुमक्खी प्रजातियों के आधार पर भिन्न हो सकती है, लेकिन सामान्य रूप से शहद की तैयारी कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों का समय ले सकती है।

Q. मधुमक्खी पालन व्यवसाय कैसे शुरू करें?

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