kela ki kheti kase kare

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kela ki kheti kase kare | Banana Farming in Hindi | Banana Cultivation : केला की खेती कैसेकरें | केला के प्रकार

अगर आप भी kela ki kheti करने की योजना बना रहे हैं तो इस लेख में आपको केले की खेती कैसे करें (Banana खेती इन हिंदी) और केले की किस्मों के बारे में जानकारी दी जा रही है.

 

kela ki kheti के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान (Banana Cultivation Suitable Soil, Climate and Temperature)

kela ki kheti के लिए कार्बनिक पदार्थों से भरपूर दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है, और रोपण के लिए उपयुक्त अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी का होना भी महत्वपूर्ण है। जल जमाव वाली मिट्टी में फसल बोने से पौधों में रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है। उसके खेत की मिट्टी का पी.एच. मान 6 से 8 के बीच होना चाहिए।

kela ki kheti में जलवायु का भी बहुत महत्व है. इसके पौधों को पनपने के लिए बरसाती, धूप वाली जलवायु की आवश्यकता होती है। बारिश का मौसम पौधों की वृद्धि के लिए अच्छा माना जाता है, लेकिन बारिश से खेत में पानी न भरने दें। इसके पौधे अधिकतम 40 डिग्री और न्यूनतम 14 डिग्री तापमान सहन कर सकते हैं.

kela ki kheti की उन्नत किस्में (Banana Improved Varieties)

कुठिया

कुठिया किस्म के केले सब्जी और फल दोनों के उपयोग के लिए उगाए जाते हैं। इसके कच्चे फल सब्जियों का स्वाद बहुत अच्छा होता है और फल का आकार भी ठीक-ठाक होता है। इसके पौधों को पानी की बहुत अधिक आवश्यकता होती है, इसके एक गोले का वजन 25 किलोग्राम तक देखा जाता है।

बत्तीसा

केले की इन किस्मों में से अधिकांश को सब्जी के उद्देश्य से उगाया जाता है। इसकी वनस्पति में गोले का विस्तार अधिक पाया गया है, एक ही गोले में 240 से 300 पौधे दिखाई देते हैं।

रोवेस्टा

इन केलों को लंबे समय तक स्टोर करके रखा जा सकता है. इसके पौधे 3 से 4 मीटर लंबे होते हैं और एक गोले का वजन लगभग 25 से 30 किलोग्राम तक पाया जाता है। इसमें 200 से अधिक फलियाँ पाई जाती हैं और पौधों में लगने वाले फल चमकीले और गहरे लाल रंग के होते हैं।

kela ki kheti की तैयारी और उवर्रक (Banana Field Preparation and Fertilizer)

kela ki kheti में केले का पौधा लगाने से पहले उसके खेत को एक महीने तक तैयार किया जाता है. इस प्रयोजन के लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई की जाती है। जुताई के बाद खेत को कुछ समय के लिए छोड़ दिया जाता है. इसके बाद खेत में रोटावेटर लगाकर दो से तीन तिरछी जुताई कर दें.

इससे खेत की मिट्टी पूरी तरह से भुरभुरी हो जायेगी. मिट्टी चिकनी हो जाने पर पाटा लगाकर खेत की मिट्टी को समतल कर लें। इसके बाद खेत में पौध रोपण के लिए गड्ढे तैयार किये जाते हैं.

इन गड्ढों को पंक्तियों में तैयार किया जाता है और तैयार की गई गड्ढों की पंक्तियों के बीच डेढ़ मीटर की जगह होनी चाहिए। ये गड्ढों एक फुट गहरी और एक फुट चौड़ी होनी चाहिए।

एक बार गड्ढे खोदने के बाद, इन गड्ढों में पर्याप्त मात्रा में कोयला उपलब्ध कराया जाना चाहिए, और इसलिए पुराना गाय का गोबर 25 किलोग्राम और 100 जीएम बी.वी. की मात्रा को मिट्टी में अच्छी तरह मिलाकर गड्ढों में भर देना चाहिए।

इसके बाद इन गड्ढों में पानी डालें। इन गड्ढों को एक महीने पहले से तैयार किया जाता है. एक महीने के बाद इस गड्ढों में एक छोटा सा गड्ढा बनाकर पौधा लगा दिया जाता है।

रोपाई के एक महीने बाद पौधे को 60 जीएम नाइट्रोजन की आपूर्ति की जानी चाहिए। यह प्रक्रिया तीन महीने तक दोहराई जाती है. इसके बाद जब पौधे पर फूल बनने लगें तो उस दौरान पौधे को 60 GM नाइट्रोजन की मात्रा दें.

kela ki kheti के पौधों की रोपाई और उवर्रक की मात्रा (Banana Plants Transplanting and Fertilizer Quantity)

केले के बीजों को पौध के रूप में उगाया जाता है। इसलिए उसके पौधे पंजीकृत नर्सरी से खरीदने पड़ते हैं. खरीदे गए पौधे पूर्णतः स्वस्थ एवं अच्छी गुणवत्ता के होने चाहिए।

इस पौधे की खेती के लिए 15 मई से 15 जुलाई तक का महीना उपयुक्त माना जाता है और जून का महीना भी इसकी खेती के लिए उपयुक्त है,

क्योंकि बारिश के मौसम में केले के पौधे अच्छे से विकास करते हैं। उनके पौधे लगाने से पहले उन्हें बाविस्टीन से उपचारित किया जाता है। इसके बाद इन्हें तैयार गड्ढों में दबा दिया जाता है।

kela ki kheti के पौधे की सिंचाई (Banana Plant Irrigation)

अगर केले का पौधा बारिश के मौसम में लगाया गया है तो इसके पौधे को कम पानी की जरूरत होती है. रोपण के तुरंत बाद इसे पहली बार पानी दिया जाता है।

इसके अलावा गर्मियों में इसके पौधों को सप्ताह में एक बार पानी देना चाहिए और गर्मियों में 10 से 12 दिन के अंतराल पर पानी देना चाहिए. बरसात के मौसम में जरूरत पड़ने पर ही पौधों को पानी दिया जाता है।

kela ki kheti के पौधों में खरपतवार नियंत्रण (Banana Plants Weed Control)

केले के पौधों में खरपतवार नियंत्रण के लिए प्राकृतिक विधि का प्रयोग किया जाता है. केले के पौधों को ज्यादा निराई-गुड़ाई की जरूरत नहीं होती.

उसके पौधों में पहली खरपतवार एक महीने के बाद पैदा होती है, जिसके बाद खेत में खरपतवार दिखाई देने पर खरपतवार की कटाई कर लेनी चाहिए।

kela ki kheti के पौधों में लगने वाले रोग एवं उनकी रोकथाम (Banana Plant Diseases and Their Prevention)

लेस विंग बग

यह रोग आमतौर पर पौधों की पत्तियों पर दिखाई देता है. लेस विंग बग रोग पौधे की पत्तियों पर हमला करता है, जिससे पत्तियां पीली हो जाती हैं। ये कीट पत्तियों के आधार से रस चूसकर नुकसान पहुंचाते हैं। पर्याप्त मात्रा में मोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव करके इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।

थ्रिप्स

यह रोग बीज बोने के लिए बहुत विनाशकारी है. यह रोग फल के आवरण को प्रभावित नहीं करता है, लेकिन फल के शीर्ष का रंग बदल जाता है। केले के पौधों को इस रोग से बचाने के लिए पौधों पर पर्याप्त मात्रा में मोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव किया जाता है.

लीफ स्पाट

पत्ती धब्बा रोग को सिंगाटोका नाम से भी जाना जाता है। पौधों पर यह रोग स्यूडो सर्कोस्पोरा म्यूसी कवक के कारण पाया जाता है। यह कीट रोग पौधों की पत्तियों का रस चूसता है, जिससे पत्तियों में क्लोरोफिल की मात्रा बहुत कम हो जाती है और पत्तियों का रंग हरा से भूरा होने लगता है।

जब इस रोग का प्रकोप बहुत अधिक होता है तो पत्तियाँ काली पड़ जाती हैं, जिसके बाद पौधा पूरी तरह नष्ट हो जाता है। इस रोग की रोकथाम के लिए केले के पौधों पर प्रोपिकोनाज़ोल, बाविस्टिन या डाइथेन एम-45 में से एक का छिड़काव करना चाहिए।

kela ki kheti के फलो की तुड़ाई, पैदावार और लाभ (Banana Fruit Harvesting, Yield and Benefits)

केले के फलों की तुड़ाई दो प्रकार से की जाती है। इसकी पहली कटाई कच्चे फल के रूप में की जाती है, जिसका उपयोग सब्जियों और आटे के लिए किया जाता है। दूसरे को फल पकने पर तोड़ लिया जाता है। इस कारण यदि फल का रंग पीला पड़ने लगे तो इसकी कटाई कर लेनी चाहिए.

एक गोल केले का वजन लगभग 20 से 25 किलोग्राम होता है, इस प्रकार किसान एक हेक्टेयर खेत से लगभग 60 से 70 टन वार्षिक उपज प्राप्त कर पाता है। केले का बाजार मूल्य 10 रुपये प्रति किलोग्राम है, जिसके कारण किसान प्रति हेक्टेयर खेत में एक केले की फसल से 6 lakh रुपये तक की कमाई करके अच्छा रिटर्न कमा सकते हैं।

kela ki kheti FaQs?

Q. केले का पेड़ कितने दिनों में फल देता है?

Ans. लगभग एक साल लग जाता है।

Q. केले का पौधा कितने दिन में तैयार हो जाता है?

Ans. 100-140 दिन

Q. केला कितने महीने में तैयार होता है?

Ans. 15 माह का होता है

Q. 1 एकड़ में कितने केले का पौधा होता है?

Ans. 1200 के आसपास पौधे लगाते हैं।

Q. केले के पेड़ का जीवनकाल कितना होता है?

Ans. 25 वर्ष होता

Q. केला कौन से महीने में लगाया जाता है?

Ans. जून-जुलाई

 

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