आम उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में समुद्र तल से 600 मीटर की ऊंचाई पर उगाए जाते हैं।बाजार में आम की काफी मांग है और इसकी कीमत भी अच्छी मिल रही है,
इसलिए किसान भाई आम की कटाई में दिलचस्पी ले रहे हैं. इस पोस्ट में आपको Aam ki kheti कैसे करें (Mango खेती इन हिंदी) और Aam ki kheti से होने वाली आय के बारे में जानकारी दी जा रही है।
Aam ki khetiके लिए उपयुक्त मिट्टी,जलवायु और तापमान (Mango Cultivation Suitable Soil, Climate and Temperature)
Aam ki kheti के लिए बलुई दोमट मिट्टी आवश्यक है। इसके अलावा मिट्टी में जल निकास भी अच्छा होना चाहिए. पी.एच. जो सामान्य है. इसकी खेती बहुमूल्य भूमि पर आसानी से की जा सकती है। आम की खेती के लिए गर्म एवं आर्द्र जलवायु अनुकूल मानी जाती है। भारत में इसे वसंत ऋतु में बोया जाता है।
आम के पौधों को फूल आने और फल आने के लिए शुष्क मौसम की आवश्यकता होती है। अत्यधिक वर्षा इसके फल के योग्य नहीं होती। इसके पौधों को शुरुआती विकास के लिए 20 डिग्री और पौधों पर फूल आने के समय 27 डिग्री तापमान की जरूरत होती है।
Aam ki kheti की उन्नत किस्में (Mango Improved Varieties)
दशहरी
उत्तर प्रदेश राज्य में आम की कई दशहरी प्रजातियाँ उगाई जाती हैं। इन पौधों को पैदावार बढ़ाने के लिए उगाया जाता है। परिणामी फल का स्वाद बहुत मीठा होता है, और फल का रंग पीला होता है। दशहरी आम जून माह में पककर तैयार हो जाता है।
लंगड़ा आम
लंगड़ा आम का सर्वाधिक उत्पादन बनारस में होता है। बनारस को लंगड़ा आम की जन्मस्थली के रूप में भी जाना जाता है। इन किस्मों के आमों का स्वाद काफी अनोखा होता है, यही वजह है कि लंगड़ा आम बहुत लोकप्रिय हैं। फल गोल, हरा और पीले रंग का होता है।
तोतापरी किस्म के आम
इन आमों की पहचान उनके आकार से होती है. तोता आम आकार में मकड़ी की चोंच जैसा दिखता है। इन फलों का स्वाद हल्का होता है और इसलिए इनका उपयोग जूस, दलिया और पेय पदार्थों में किया जाता है।
बंबइया किस्म के आम
इस प्रकार के फल को तैयार होने में ज्यादा समय नहीं लगता है. इसका फल पकने पर भी हरा दिखाई देता है। आम की इन किस्मों में कई बनावट और स्वाद भी पाए जाते हैं। आम की ये किस्में मई के महीने में पककर अपने आप तैयार हो जाती हैं।
संकर प्रजाति के आम (Hybrid Mango)
पूसा लालिमा
पूसा लालिमा किस्म के फल व्यावसायिक रूप से उगाए जाते हैं। परिणामी फल मध्यम आकार के और लम्बे होते हैं और फल पीले रंग के होते हैं। इसके बीज से निकलने वाले फल का रंग नारंगी होता है और इन फलों को लंबे समय तक भंडारित किया जा सकता है।
मल्लिका
दशहरी और नीलम किस्मों को मिलाकर मल्लिका किस्में बनाई गई हैं। परिणामी फल आकार में बड़े और हल्के गुलाबी रंग के होते हैं। इसके फल में बड़ी मात्रा में गुदा पाया जाता है और इन फलों को लम्बे समय तक रखा जा सकता है। आम की इन किस्मों को व्यावसायिक रूप से उगाया जाता है।
आम्रपाली
यह संकर प्रजाति भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली द्वारा दशहरी एवं नीलम किस्मों को संकरण कराकर तैयार की गई है। इन किस्मों में पैदा होने वाले फल मध्यम आकार के होते हैं. इसके फल सबसे स्वादिष्ट होते हैं. यह किस्म प्रति हेक्टेयर 200 से 250 क्विंटल उपज देने के लिए जानी जाती है.
Aam ki kheti की तैयारी और उवर्रक की मात्रा (Mango Field Preparation and Fertilizer Quantity)
आम का सबसे पुराना पौधा 20 साल तक फल देता है। इसीलिए इसके खेत में पौधा लगाने से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार किया जाता है। सबसे पहले खेत की अच्छी तरह से मिट्टी पलटने वाले हलो से जुताई कर देनी चाहिए . इसके बाद कुछ देर के लिए खेत को वैसे ही खुला छोड़ देना चाहिए.
इससे खेत की मिट्टी में सूरज की रोशनी अच्छे से प्रवेश कर जाती है। इसके बाद खेत की रोटावेटर से दो से तीन तिरछी जुताई करें. इसके फलस्वरूप खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है।
खेत की मिट्टी भुरभुरी कर देने के बाद खेत में पाटा लगाकर चलवा दे,जिससे खेत समतल हो जाएगा और कटाव की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
एक बार खेत समतल हो जाने के बाद, पौधे लगाने के लिए खेत में 5 मीटर की जगह छोड़कर एक मीटर चौड़ी और आधा मीटर गहराई की गड्ढों तैयार की जाती हैं। इसके बाद इन गड्ढों को मिट्टी में उचित मात्रा में कोयला मिलाकर भर देना चाहिए।
एक बार जब गड्ढों मिट्टी से भर जाएं तो उनमें पानी डालना चाहिए। इससे पौधे रोपने पर मिट्टी सड़ जाती है और सख्त हो जाती है। इन गड्ढों को पौधे लगाने से एक महीने पहले तैयार कर लें।
गड्ढों में पोषक तत्वों का पर्याप्त स्तर सुनिश्चित करने के लिए 25 किलोग्राम पुराना गाय का गोबर उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा 150 जीएम, एन.पी.के. पैसे को तीन हिस्सों में बांटकर साल में तीन बार देना होगा।
इसके अलावा जब पौधे 10 से 12 साल के हो जाते हैं तो उस समय उर्वरक की दर 1 किलोग्राम तक बढ़ा दी जाती है. 1 किलोग्राम की यह खुराक साल में चार बार दी जाती है। परिणामस्वरूप, आम के पौधे बेहतर विकसित होंगे और अधिक फल देंगे।
Aam ki kheti के पौधों की रोपाई का सही समय और तरीका (Mango Plants transplanting Right time and Method)
Aam ki kheti के पौधों की रोपाई पौध के रूप में की जाती है. इनके पौधों को खेत में लगाने से पहले खेत में तैयार गड्डो में एक छोटा सा गड्ढा बनाया जाता है. इन छोटी-छोटी गड्डो में आम के पौधे उगाये जाते हैं। गड्डो में पौधे लगाने से पहले, उन्हें गोमूत्र या बाविस्टिन की उचित खुराक से उपचारित किया जाता है।
इसके पौधों की बुआई के लिए मार्च का महीना उपयुक्त माना जाता है, लेकिन जिन क्षेत्रों में सिंचाई की व्यवस्था कम होती है, वहां इसके पौधों की बुआई वर्षा ऋतु के दौरान जून और जुलाई के महीने में की जाती है।
Aam ki kheti के पौधों की सिंचाई (Mango Plants Irrigation)
Aam ki kheti के पौधों को पहले साल पानी की बहुत अधिक आवश्यकता होती है. इनके पौधों को 12 से 15 सिंचाई की आवश्यकता होती है. रोपण के तुरंत बाद इसे पहली बार पानी दिया जाता है।
उसके पौधों को बढ़ने के लिए पानी की जरूरत होती है, इसलिए उसके पौधों को पानी देना जरूरी है। गर्मियों में इसके पौधों को सप्ताह में एक बार पानी देना चाहिए और सर्दियों में इसके पौधों को 15 से 20 दिन के अंतराल पर पानी देना चाहिए.
Aam ki kheti के पौधों में खरपतवार नियंत्रण (Mango Plants Weed Control )
Aam ki kheti के पौधों में खरपतवार नियंत्रण के लिए रासायनिक विधियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. इसके पौधों में प्राकृतिक रूप से खरपतवार नियंत्रित रहते हैं. रोपण के एक महीने बाद वे उसके पौधों में पहली खरपतवार हैं।
आम के पौधों को पहले वर्ष में 8 से 10 खरपतवार गुड़ाई की आवश्यकता होती है। पहली खरपतवार की गुड़ाई के बाद बचे हुए खरपतवार की गुड़ाई 20 से 25 दिन के अंदर कर लेनी चाहिए।
Aam ki kheti के पौधों में लगने वाले रोग (Mango Plant Diseases)
आम के पौधों में भी कई रोग लगते हैं, जो इसके पौधों को नुकसान पहुंचाकर फसल को प्रभावित करते हैं. पौधों को प्रभावित करने वाले रोग निम्नलिखित हैं- आंतरिक विगलन, गमोसिस, तना बेधक, एन्थ्रेक्नोज, मैंगो हॉपर, पाउडरी मिल्ड्यू आदि |
Aam ki kheti से कमाई और तुड़ाई (Mango Fruit Harvesting, Yield and Benefits)
आम का पेड़ 85 से 110 दिन में फल देने के लिए तैयार हो जाता है। जबकि इसके फल का रंग ऊपर से लाल दिखाई देता है. तब इसकी तुड़ाई कर ली जाती है |
फलो की तुड़ाई के बाद को पानी से धोकर छायादार जगह पर अच्छी तरह सुखा लें। इसके पूर्ण विकसित पौधे 100 से 150 किलोग्राम फल देते हैं और एक हेक्टेयर खेत में लगभग 400 पौधे उगाए जा सकते हैं।
दृश्यता 40,000 से 60,000 के बीच है. आम का बाजार मूल्य 30 से 50 रुपये प्रति किलोग्राम है, जिससे भाई किसान इसके पूर्ण विकसित पौधों से 8 से 10 लाख रुपये प्राप्त करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
Aam ki kheti kaise Kare FaQs?
Q. आम के पेड़ में कितने साल में फल लगता है?
Ans. चार-पाँच साल
Q. आम की खेती कब और कैसे करें?
Ans. जुलाई से सितंबर तक
Q.आम का पौधा कौन से महीने में लगाया जाता है?
Ans. जून के माह में
Q. आम की फसल कब बोई जाती है?
Ans. जून-जुलाई में
Q. 1 एकड़ में कितने आम के पेड़ लगाए जा सकते हैं?
Ans. एक एकड़ में 100 आम के पेड़
Q. सबसे बढ़िया आम का पेड़ कौन सा होता है?
Ans. अलफांसो
Q. सबसे महंगा आम का फल कौन सा है?
Ans. मियाजाकी
Aam ki kheti | आम की खेती कैसे करते हैं | आम की खेती से कमाई | Mango Farming in Hindi किसान भाइयो अगर आप JagoKisan.com द्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट है तो plz like करे और शेयर करे ताकि किसी दूसरे किसान भाई की भी मदद हो सके|