About Bachaur cow

Comments · 225 Views

About Bachaur cow | Bachaur cow In Bihar | Bihar Ki Bachaur cow: बाचौर गाय का महत्व | ऊर्जावान दूध संपन्नता की सम्पूर्णता

Bachaur cow :-प्राचीन काल से ही पशुपालन का बहुत महत्व रहा है। आज के समय में गाय पालन (Cow Rearing) से कई तरह के बिजनेस किए जा रहे हैं. आज पशुपालन इतना लाभदायक हो गया है कि हर कोई इस क्षेत्र  में आना चाहता है।

जैसा कि सभी जानते हैं कि गाय का दूध स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, तो बैलों से खेती आवागमन के साधन, माल वाहन कराना लाभकारी है.

गाय के गोमूत्र का उपयोग खाद, कीटनाशक, औषिधि बनाने व भूमि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए कर सकते हैं. पशुपालक को गाय पालन (Cow Rearing) से अधिक से अधिक लाभ हो, इसलिए वह गाय की उन्नत नस्लों का पालन करते हैं.

वैसे हमारे देशे में गाय की कई उन्नत नस्लें पाई जाती हैं. हर एक राज्य की अपनी एक प्रसिद्ध गाय भी ज़रूर होती है. इसी कड़ी में बिहार की भी एक गाय प्रसिद्ध है, जिससे बाचौर गाय (Bachaur Cow) के नाम से जाना जाता है. आइए आपको बाचौर (Bachaur Cow) गाय की विशेषताएं बताते हैं.

इन इलाकों में मिलती है बाचौर गाय (Bachaur cow is found in these areas)

About Bachaur cow

 

Bachaur cow की गाय मुख्य रूप से बिहार राज्य के सीतामढी, मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर जिलों में पाई जाती है। एक अध्ययन के अनुसार, शुद्ध बचौर मवेशियों की संख्या अब दुर्लभ होती जा रही है।

इस नस्ल की गाय नेपाल की सीमा से सटे सीतामढी जिले के एक हिस्से बछौर और कोलीपुर में ही बचे हैं. यह नस्ल शुष्क क्षेत्र में अपनी कार्यशीलता के लिए और अपौष्टिक खाद्य के द्वारा निर्वहन के लए जानी जाती है.

बाचौर गाय की संरचना (Structure of Bachaur Cow)

यह हरियाणा नस्ल की गायों से बहुत अधिक समानता रखती है. इस नस्ल के पशु काफी हल्के और भूरे रंग के होते हैं. इनकी गर्दन छोटी और माथा चपटा, बड़ा व हल्का सा उन्नत होता है. इस नस्ल की गाय की आंखें भी बहुत खूबसूरत होती हैं.

इनके सींग मध्यम लंबाई के होते हैं, तो वहीं पैर पतले और कम लंबाई वाले होते हैं. गले की झालर पतली मध्य आकार की होती है, जबकि पूंछ छोटी व मोटी होती है. इसके अलावा सिरों का रंग काला या सफेद होता है. बांक का आकार छोटा होता है.

बाचौर गाय की संरचना (milk production from bachaur cow)

इस नस्ल की गायें कम दूध देती हैं। एक ब्यांत के बीच यह अंतराल लगभग 250 से 260 दिन का होता है। इस नस्ल की गायों की औसत दूध उपज लगभग 500 से 600 किलोग्राम होती है।

इस नस्ल के बैल होते हैं श्रमसाध्य (Bulls of this breed are laborious)

Bachaur cow नस्ल की गायें मेहनती होती हैं, बिना रुके लगातार 8 घंटे तक काम करने में सक्षम होती हैं।

यहां मिल सकती है बाचौर गाय (Bachaur cow can be found here)

बचौर गाय खरीदने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट https://www.nddb.coop/hi पर जा सकते हैं। इसके अलावा आप अपने राज्य या बिहार डेयरी फार्म से संपर्क कर सकते हैं।

Bachaur cow FaQ

Q. बाचौर नस्ल की गाय का वैज्ञानिक नाम क्या है?

Ans. बाचौर नस्ल की गाय का वैज्ञानिक नाम “Bos indicus” है।

Q. बाचौर नस्ल की गाय का वजन कितना होता है?

Ans. बाचौर नस्ल की गाय का वजन आमतौर पर 500 किलोग्राम से 700 किलोग्राम तक होता है। इसका वजन उम्र, आहार, और देखभाल के आधार पर भिन्न हो सकता है।

Q. बाचौर नस्ल की गाय का दूध कितना प्रोटीन पूर्ण होता है?

Ans. Bachaur cow की गाय का दूध प्रोटीन से भरपूर होता है। आमतौर पर, इसके दूध में 3.5% से 4.5% तक प्रोटीन पाया जा सकता है।

Q. बाचौर नस्ल की गाय के बच्चों को क्या कहा जाता है?

Ans. बाचौर नस्ल की गाय के बच्चों को “बछेड़ा” या “बछेड़ी” कहा जाता है। ये गाय के छोटे बच्चे होते हैं जिन्हें अपनी मां की देखभाल और पोषण की आवश्यकता होती है

Q. बाचौर नस्ल की गाय का प्रमुख खाद्य स्रोत क्या होता है?

Ans. बाचौर नस्ल की गाय का प्रमुख खाद्य स्रोत घास, चारा और पौधे होते हैं। इन्हें खिलाने से इनकी सेहत और दूध की उत्पादन क्षमता में सुधार होता है।

Q. बाचौर नस्ल की गाय को दूध के अलावा कौन-कौन से उपयोग होते हैं?

Ans. बाचौर नस्ल की गाय को दूध के साथ-साथ मांस, गौमूत्र, गोबर, और चर्म के उपयोग के लिए भी पाला जाता है। इनके गोबर का उपयोग खेती और उर्वरक के रूप में होता है और गौमूत्र का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है।

 

बिहार की Bachaur cow की गाय: ऊर्जावान दूध संपन्नता की सम्पूर्णता किसान भाइयो अगर आप हमारे द्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट है तो plz like करे और शेयर करे ताकि किसी दूसरे किसान भाई की भी मदद हो सके|

Comments