Palak Me Kon Sa Khad Dalna Chahia 2024

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Palak Me Kon Sa Khad Dalna Chahia | पालक में कौन सा खाद डालना चाहिए?

Palak Ki Kheti आज कल हमारे देश में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट, तामिलनाडू, पश्चिम बंगाल कर्णाटक एवं गुजरात के कई विस्तार में पाकल की खेती किशान करते है और अच्छा मुनाफा भी प्राप्त करते है।

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इस लिए आज के इस आर्टिकल में पालक में कौन सा खाद डालना चाहिए? (Palak Me Kon Sa Khad Dalna Chahia) पोस्ट में पालक की फसल की संपूर्ण जानकारी मिलेगी।

पालक के लिए कौन सी मिट्टी अच्छी होती है? (Palak Me Kon Sa Khad Dalna Chahia)

पालक की फसलें नम मिट्टी और जलोढ़ मिट्टी पर सबसे अच्छी होती हैं। Palak Ki Kheti में जल निकासी अच्छी होनी चाहिए और जिस मिट्टी में पालक उगाया जाता है उसका पीएच मान 6 से 7 माना जाता है।

पालक लगाने के लिए मिट्टी कैसे तैयार करें?

Palak Ki Kheti में खेत की तैयारी ठीक से करनी चाहिए. पालक की खेती में दो से तीन गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा कर लेना चाहिए। और अंतिम जुताई से पहले मिट्टी में गाय का गोबर डालकर अच्छी तरह मिला देना चाहिए. इसके बाद किसी समतल यंत्र से जमीन को समतल कर देना चाहिए। इसके बाद उन्हें बिस्तर लगाना चाहिए या शयनकक्ष बनवाना चाहिए। 

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पालक अधिकतर सर्दियों में किसानों द्वारा उगाया जाता है। Palak Ki Kheti ठंडी जलवायु में सबसे अच्छी होती है। पालक के पौधे सर्दियों में सबसे अच्छे से बढ़ते हैं और पालक के पौधे आसानी से सर्दियों के ठंढों का सामना कर सकते हैं।

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और यह अच्छे से बढ़ता है और जब तापमान अधिक होता है तो पालक का पौधा बढ़ना बंद कर देता है। पालक के पौधे गर्मी में अच्छी तरह विकसित नहीं होते हैं। इस लिए पाकल की खेती माध्यम तापमान में करनी चाहिए।

पालक की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?

Palak Ki Kheti में पालक की सवसे अच्छी किस्मे सेवॉय को माना जाता है। पाकल की और भी अच्छी किस्मे है

इन के नाम ज्योति पूसा, आल ग्रीन, पूसा पाकल, पूसा हरित, बनर्जी जाइंट, पूसा भर्ती, जोबनेर ग्रीन पंजाब ग्रीन, और पंजाब सिलेक्टिव, इस प्रकार पाकल की प्रसिद्ध किस्मे के नाम है। इन किस्मे के बीज बुवाई कर के किशान अच्छा मुनाफा कर शकते है।

सेवॉय : पाकल के इस किस्मे के पतों थोड़ा चिकना होता है। और इस चिकने पन के वजेसे पतों बड़े आकर्षित दीखते है। इस पाकल के पतों का स्वाद भी बहुत अच्छा होता है। इस के पतों कई दिनों तक हरे और ताजे रहते है। इस किस्मे के पालक के पतों में ऑक्सालिक एसिड होते है। इस के पतों हल्के झुर्रीदार होते है

Palak Ki Kheti में लगने वाला रोग एवं कीट नियंत्रण कैसे करे

  • चेपा : इस कीट के कारण मुख्य फसल के पतों ऊपर की दिशा में मोड़ जाते है। और पतिया पीले रंग की हो जाती है या दिखती है। इस कीट का मुख्य कार्य है पतिया में रस है वही रस को चूस लेते है। इस कारण पतिया ऊपर की दिशा में मोड़ जाती है।
  • नियंत्रण : इस कीट के नियंत्रण के लिए हमे ए उपचार करना होगा थाइमैथोक्सम 5 ग्राम 16 लीटर पानी में मिलाके छिटकाव करना होगा। और इस छिटकाव के बाद 10 से 15 दिन में डाइमैथोएट 10 मि.ली. + टराइडमोरफ 10 मिली दोनों को 16 लीटर पानी में मिलाके छिटकाव करना होगा।
  • एन्थ्रेक्नोज : Palak Ki Kheti में एन्थ्रेक्नोज रोग लगता है तब फसल की पतिया पर भूरे धब्बे दिखाय देते है। ए रोग कलेटोट्रीचम लगेनरियम फफूंदी के माध्यम से फैलता है। इस रोग लगाने से पातीय धीरे धीरे जमीन पर गिरने लगाती है।
  • नियंत्रण : इन रोग के उपचार में हम ऑमिस्तार टॉप (AMISTAR TOP) अजॉक्सिटोबिन 18.2% डब्ल्यू / डब्ल्यू +डायफेनोकोनाजोल 11.4% डब्ल्यू / डब्ल्यू एससी 16 लीटर पानीके साथ 20 मिली मिलाके छिटकाव कीजिए। और एन्थ्रेक्नोज रोग से फसल को मुक्त करना चाहिए।
  • पतों पर धब्बे : इस बीमारी की पैथोजेनिक बीमारी भी कहते है। इस का अटेक मुख्य तवे पौधे के पतों पर होता है। इस के कारण पौधे के पतों पर छोटे छोटे छिद्र और पतों पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते है। और धीरे धीरे पौधे के सारे पते गीर के नष्ट हो जाते है
  • नियंत्रण : इस रोग के नियंतरण में हम दीथेन एम 45 0.3 % एवं कोटफ 10 मि.ली 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करना चाहिए।
  • थ्रिप्स : इस कीट की वजे से पौधे के पतों जमीन की तरफ मुड़ ने लगती है और बाद में धीरे धीरे पौधे से गिरने लगती है।
  • नियंत्रण : इस किट के उपचार में हम बायार कंपनी का रीजैंट थिप्रोनिल 5% और पीआई कम्पनी का कोलफोर्स और इथियोन 40% + साईपर मेथिरिन 4%EC 16 लीटर पानी के साथ 35 मिलीग्राम मिला के छिटकाव करना चाहिए।
  • हरी सुंडी : इस सुंडी से पालक के पौधे को ज्यादा नुकशान होता है। इस सुंडी का कार्य है पौधे के ताजे हरे और नाइ अंकुरित पतों को खाते है। और पौधे का विकास रूक जाता है।
  • नियंत्रण : इस हरी सुंडी के नियंतरण में हम यूपीएल कम्पनीका उलाला फलेको मिड 50% SG 7 से 8 ग्राम 16 लीटर पानी के साथ 15 दिन में दो से तीन छिटकाव करना चाहिए।
  • जड़ गलन : इस रोग के लगने का मुख्य कारण है सक्लेरोशिअम रोलफसाई इन के कारण लगते है। इस बीमारी से पाकल के पतों पर फंगस दिखाई देते है। और पालक के पौधे के पतों पर हरे रंग के धब्बे दिखाई देते है। और पतों धीरे धीरे सुख के पौधे से गीर जाते है।
  • नियंत्रण : इस के नियंत्रण में हम BASF का सेर्कडीस प्लस में फ्लुक्सापायरोक्साड 75 G/L और डाइफेनोकोनाजोल 50 G/L इस का मान 30 ML 16 लीटर पानी में मिला के छिटकाव करना चाहिए इन से अच्छा रिजल्ट देखने को मिलेगा।

पालक में कौन सा खाद डालना चाहिए? | (Palak Me Kon Sa Khad Dalna Chahia)

पालक की फसल में खाद डालना बहुत जरूरी है. यदि पालक का पेड़ अच्छे से बढ़ता है तो पालक के पेड़ में उर्वरक भी उचित प्रकार से देना चाहिए। पालक की खेती में अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, यूरिया और एसएसपी इन उर्वरकों को पालक की फसल में डालना चाहिए। यदि पाकल एक हेक्टेयर में उगाया जाता है तो उर्वरक की आपूर्ति इस प्रकार की जानी चाहिए।

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कच्चे गाय के गोबर को प्रति हेक्टेयर 13 से 15 टन मिट्टी में मिलाना चाहिए। पालक की खेती में एक हेक्टेयर के आधार पर 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश और 170 किलोग्राम यूरिया और 170 किलोग्राम एसएसपी डाला जा सकता है।

पालक के पतों की पहेली तोड़ाई के बाद खाद देना चाहिए एवं दूसरी तोड़ाई के बाद खाद देना चाहिए और तीसरी तोड़ाई पर खाद देना चाहिए। पाकल की खेती में नाइट्रोजन की आवश्यकता ज्यादा होती है।

पालक में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें?

पालक के पेड़ में खरपतवार नियंत्रण सही समय पर करना चाहिए, अन्यथा पालक का पेड़ बढ़ना बंद कर देता है और उस पर कई बीमारियों और कीटों का भी हमला हो जाता है और पालक की उपज में भारी कमी आ जाती है, इसलिए पालक के पेड़ में खरपतवार नियंत्रण करना ज़रूरी है। 

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जब खरपतवारों की कटाई टॉस करके की जाती है, तो मिट्टी को हवा मिलती है और उस मिट्टी में पालक के पौधे अच्छे से उगते हैं। इनके अलावा, रासायनिक कीटनाशक पाइराज़ोन का उपयोग एक एकड़ में 1 किलोग्राम या 1.12 किलोग्राम वजन के साथ करना चाहिए।

पालक की कटाई कब करनी चाहिए?

पालक के बीज के बुवाई के बाद 20 से 25 दिन के बाद पहेली कटाई के लिए तैयार हो जाते है। और जब पालक के पतों 15 से 30 सेमी के लम्बे हो जाए तब कटाई कर लेनी चाहिए।

इस के बाद पालक के पतों की कटाई 20 से 25 दिन के अंतर में कटाई करनी चाहिए। पालक की फसल में कटाई तीखे चाकू से करनी चाहिए और इस पालक की कटाई 5 से 6 बार कर शक्ति है

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Palak Ki Kheti एक हेक्टर में की है तो हरे पतों की उपज 85 से 95 क्विंटल तक की प्राप्त हो शक्ती है। इस पालक के पतों को बाजार में बेचकर अच्छे दाम भी प्राप्त कर शकते है।

 FaQ

Q.पालक कितने दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाता है ?

Ans.20 से 25 दिन में

Q.Palak Ki Kheti कब और कैसे करनी चाहिए ?

Ans.Palak Ki Kheti साल में किसी भी महीने में कर शकते है किंतु पाकल के अच्छे विकास एवं अच्छी उपज के लिए पालक की खेती दिसंबर माह में करनी चाहिए

Q.पालक के बीज बुवाई के बाद कितने दिन में अंकुरित हो जाता है ?

Ans.पालक के बीज बुवाई के बाद 5 से 7 दिन में अंकुरित हो कर विकास करने लगते है

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Palak Me Kon Sa Khad Dalna Chahia | पालक में कौन सा खाद डालना चाहिए? 
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