अगर आप भी Paan ki kheti में रुचि रखते हैं तो इस लेख में आपको Paan ki kheti (Betel Leaf Cultivation in Hindi) और पान की उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी दी जा रही है।
Paan ki kheti के लिए उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान (Betel Leaf Cultivation Suitable Soil, Climate and Temperature)
पान के पत्तों को किसी भी उपजाऊ भूमि में उगाया जा सकता है। जल भराव वाली भूमि हाइलाइटिंग के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती है।
इसकी खेती में भूमि का P.H. मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए | इसकी खेती आद्र और नम जलवायु में की जाती है |
इसके पौधे बरसात के मौसम में अच्छे से विकास करते हैं और गर्म, तेज हवाएं इसके पौधों को नुकसान पहुंचाती हैं। इसके साथ ही अधिक ठंडे और गर्म प्रदेशो में इसकी खेती को नहीं करना होता है |
पान के पौधों को न्यूनतम 10 डिग्री और अधिकतम 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है.
Paan ki kheti की उन्नत किस्में (Betel Leaf Improved Varieties)
आजकल पान की कई उन्नत किस्में भी उगाई जा रही हैं, जिन्हें अलग-अलग जलवायु परिस्थितियों के अनुसार अधिक उपज देने के लिए अनुकूलित किया जाता है, जिनकी पत्तियों में भी भिन्नता पाई जाती है।
पान के पत्तों के आकार और स्वाद के अनुसार किस्मों को व्यवस्थित किया जाता है। जो इस प्रकार है :- बांग्ला, बांग्ला, कलकतिया, सोफिया, बनारसी, मीठा, रामटेक, सांची, देशवारी, कपूरी और मघई इत्यादि।
Paan ki kheti की तैयारी और उवर्रक (Betel Leaf Cultivation Preparation and Fertilizers)
Paan ki kheti के खेत में फसल लगाने से पहले खेत की अच्छी तरह और गहरी जुताई की जाती है। इससे खेत में मौजूद पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं।
जुताई के बाद खेत को कुछ देर के लिए खुला छोड़ दें। एक बार जब खेत की पहली जुताई हो जाए, तो प्रति हेक्टेयर 20 पुराने गोबर को प्राकृतिक उर्वरक के रूप में डालें और दो से तीन बार गहरी जुताई करें, इससे गोबर को खेत की मिट्टी में अच्छी तरह से मिल जाने में मदद मिलती है।
गोबर की खाद को मिट्टी में मिलाने के पश्चात उसमे पानी लगाकर पलेव कर दिया जाता है |
जुताई करने के बाद जब खेत की मिट्टी ऊपर से सूखी दिखाई देने लगती है, उस समय खेत की जुताई रोटावेटर से की जाती है, इससे खेत की मिट्टी भुरभुरी हो जाती है, मिट्टी के भुरभुरा हो जाने के पश्चात खेत में पाटा लगाकर समतल कर दिया जाता है |
यदि आप पान के खेत में रासायनिक खाद का इस्तेमाल करना चाहते है, तो उसके लिए आपको एक बोरा एन.पी.के. की मात्रा का छिड़काव खेत की आखरी जुताई के समय करना होता है
बरेजा का निर्माण (Bareja Construction)
जब पान की खेती की जाती है तो यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में आसानी से उगाया जाता है जहां तापमान मध्यम रहता है। हालाँकि, अधिकांश स्थानों पर पान की खेती के लिए बरेजा प्रणाली का उपयोग किया जाता है।
इसी कारण से ग्रामीण इलाकों में बरेजा बनाया जाता है, जो घास जैसा दिखता है। उन्हें बरेजा के लिए बांस के खंभे और सामग्री की जरूरत है. इस मामले में, बांस के खंभों को एक मीटर की दूरी पर पंक्तियों में रखा जाता है। ये लाइनें दो मीटर की दूरी पर लगी हुई हैं।
लगाए गए बांस के खंभों की एक कतार में ढाई से तीन मीटर ऊपर बांध कर पुलाव फैलाया जाता है और फिर इस पुलाव को नारियल के साथ रस्सी से बांध दिया जाता है.
इस प्रकार जब बरेजा का ऊपरी हिस्सा तैयार हो जाए तो इसे तैयार लट्ठों से बंद कर दें. इससे बरेजा एक कमरे के आकार का हो जाएगा। इन सांचों के नवीनीकरण के दौरान पूर्वी तरफ के सांचों को हल्का कर दिया गया और बाकी हिस्सों में सांचों को भर दिया गया, ताकि गर्म हवा बैरेजा में प्रवेश न कर सके।
कलम तैयार करने की विधि (Cutting Making Method)
पान के पौधों को अंतरवर्तीय पौधों के रूप में प्रतिस्थापित किया जाता है। कलम तैयार करने के लिए एक साल पुराने पौधों की आवश्यकता होती है, ऐसे में पान की बेल के निचले डंडिया को काट कर अलग कर दिया जाता है, क्योंकि निचले डंडिया में आसानी से अंकुर निकल आते हैं।
इसके बाद बेलो को ग्रीनहाउस में तैयार किया जाता है, किन्तु तैयार कलम को खेत में लगाना अच्छा माना जाता है | पान की कलम को खेत में लगाने से पूर्व उन्हें बोर्डों मिश्रण या ब्लाइटाक्स की 0.25 मात्रा से कलम और मिट्टी दोनों को ही उपचारित कर लिया जाता है | \
इसके बाद कलम को खेत में रोप दिया जाता है और बेल के दो या तीन गुच्छों को मिट्टी में दबा दिया जाता है, शेष पूरा भाग निकल जाता है।
Paan ki kheti के बेल (कलम) की रोपाई का सही समय और तरीका (Betel Vine (Cutting) Transplanting Right time and Method)
पान के बेल की रोपाई खेत में तैयार पंक्तियो में की जाती है | इसके लिए तैयार कतार में दोनों बेलों को रोपा जाता है, प्रत्येक बेल के बीच 15 से 20 सेमी की दूरी रखते हुए बेलों को जमीन में 4 से 5 सेमी की गहराई पर लगाया जाता है।
बेलें लगाने के बाद हजारे से खेत की सिंचाई की जाती है तरीका।
शाम का समय रोपाई के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है, इससे बेलों को नुकसान होने की संभावना काफी कम हो जाती है। पान की खेती के लिए फरवरी से मार्च और मई से जून के बीच का महीना उपयुक्त माना जाता है। इन दोनों मौसमों में पान के लिए वातावरण अनुकूल रहता है।
Paan ki kheti के पौधों की सिंचाई (Betel Leaf Plant Irrigation)
पान के पौधों को पानी की बहुत अधिक आवश्यकता होती है. इसकी पहली सिंचाई ग्राफ्टिंग के तुरंत बाद की जाती है। गर्मियों में इसके पौधों को दो दिन के अंतराल पर पानी देने की आवश्यकता होती है, और सर्दियों में पान के पौधों को 15 से 20 दिन के अंतराल पर पानी देना पड़ता है.
इसके अलावा अगर मौसम बारिश का है तो पौधों को जरूरत पड़ने पर ही पानी देना चाहिए.
Paan ki kheti के पौधों पर खरपतवार नियंत्रण (Betel Plants Weed control)
पान के पौधों को व्यापक खरपतवार नियंत्रण की आवश्यकता होती है। जब तक इसकी वनस्पति में पत्तियाँ तैयार न हो जाएँ तब तक खरपतवारों को मासिक रूप से काटना चाहिए। पान की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए हाथ से निराई-गुड़ाई करना उचित माना जाता है।
Paan ki kheti के पौधों में लगने वाले रोग एवं उपचार (Betel Leaf Plant Diseases and Remedies)
क्रम संख्या | रोग | रोग के प्रकार | उपचार |
1 | पाद और जड़ गलन | फफूंद | पौधों की जड़ों पर ट्राइकोडर्मा या बोर्डो मिश्रण का छिड़काव |
2 | पत्ती गलन | पेरासिटिक फंगस | पौधों पर मैंकोजेब का छिड़काव |
3 | जड़ सडन रोग | राइजोप्टोनिया फफूंद | पौधे की जड़ों पर कार्बेंडाजिम मैंकोजेब का छिड़काव |
4 | तना कैंसर | वायरस | पौधों पर प्लांटो बाइसिन या कॉपर सल्फेट का छिड़काव |
5 | लाल काली चीटी | चीटियां | पौधों पर कार्बोफ्यूरान, नीम के तेल या पानी का छिडकाव |
6 | सफ़ेद मक्खी | कीट | पौधों पर रोगार या डेमोक्रान का छिड़काव |
Paan ki kheti के पत्तो की तुड़ाई,पैदावार और लाभ (Betel Leaves Harvesting, Yield and Benefits)
जब पान के पौधों में लगे पत्ते चमकदार और कड़कदार दिखाई देने लगे उस दौरान इसके पत्तो की तुड़ाई कर ली जाती है |पत्तियों की कटाई करते समय उन्हें डंठल सहित तुड़ाई देना चाहिए, इससे पत्तियां अधिक समय तक ताजी रहती हैं।
पान के पत्तों को तोड़ लिया जाता है और समान गुण वाले पत्तों को अलग कर छाँट लिया जाता है। इसके बाद 150 पत्तों को एक साथ जमाकर बंडल बनाए जाते हैं.
Paan ki kheti के पौधों से बीज प्राप्त करने में काफी मेहनत लगती है, लेकिन जब पौधे तैयार हो जाते हैं तो किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। एक हेक्टेयर खेत में लगभग 60 हजार पौधे उगाए जा सकते हैं, प्रत्येक पौधा एक वर्ष में 50 से 60 पत्तियाँ पैदा करता है।
इस प्रकार इसकी एक फसल से लगभग 30 लाख पत्तियाँ प्राप्त की जा सकती हैं। पान के पत्तों का बाजार मूल्य एक रुपये प्रति पत्ता है, इसलिए किसान एक एकड़ खेत में पान के पत्ते उगाकर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
Paan ki kheti FaQ
Q. Paan ki kheti कहाँ होती है?
Ans. दक्षिण भारत में जहां वर्षा अधिक होती है तथा आर्द्रता अधिक होती है, में पान प्राकृतिक परिस्थितियों में किया जाता है। इसी प्रकार आसाम तथा पूर्वोत्तर भारत में जहां वर्षा अधिक होती है व तापमान सामान्य रहता है, में भी पान की खेती प्राकृतिक रूप में की जाती है।
Q. Paan ki kheti कैसे करें?
Ans. पान के बेल की रोपाई खेत में तैयार पंक्तियो में की जाती है | इसके लिए तैयार कतार में दोनों बेलों को रोपा जाता है, प्रत्येक बेल के बीच 15 से 20 सेमी की दूरी रखते हुए बेलों को जमीन में 4 से 5 सेमी की गहराई पर लगाया जाता है।
बेलें लगाने के बाद हजारे से खेत की सिंचाई की जाती है तरीका।
Q. क्या हम पत्ती से पान का पौधा उगा सकते हैं?
Ans. मुख्य पौधे से कम से कम 5 से 6 इंच की कटिंग लें और सबसे निचली पत्तियों को हटा दें और केवल ऊपर की दो पत्तियों को ही रहने दें। कटिंग को पानी से भरी बोतल में अच्छी रोशनी वाली जगह पर तब तक रखें जब तक उसमें जड़ें न उग जाएं। एक बार जब जड़ें निकल आएं तो उन्हें अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी के मिश्रण वाले गहरे प्लांटर में रोपें।
Q. पान की कीमत कितनी होती है?
Ans. बिना प्रोसेसिंग किया 200 पान पत्ता की कीमत 100 रुपये है, तो प्रोसेसिंग के बाद इसकी कीमत सीधे दोगुना यानी 200 रुपये मिलते हैं.
Q. Paan ki kheti कब लगाना चाहिए?
Ans. फरवरी से मार्च और मई से जून के बीच का महीना उपयुक्त माना जाता है।
Q. Paan ki kheti के पौधे के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी होती है?
Ans. पान के पत्तों को किसी भी उपजाऊ भूमि में उगाया जा सकता है। जल भराव वाली भूमि हाइलाइटिंग के लिए उपयुक्त नहीं मानी जाती है।
Q. पान का पेड़ कैसे होता है?
Ans. पान के पौधों को मुख्य रूप से इसके पत्तों के लिए उगाया जाता है तथा इसे अच्छी तरह बढ़ने के लिए नाइट्रोजन युक्त जैविक खाद की जरूरत होती है।
Paan ki kheti | पान की खेती कैसे होती है | Betel Leaf Cultivation in Hindi | पान की उन्नत किस्में किसान भाइयो अगर आप jagokisan.com द्वारा दी गई जानकारी से संतुष्ट है तो plz like करे और शेयर करे ताकि किसी दूसरे किसान भाई की भी मदद हो सके|